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________________ PRIMAR बच जायगे और सरकार का यह कार्य परमेश्वर को पसंद होगा । और चूंकि | जिन मनुष्यों ने यह प्रार्थना की है वे दूर देश से आये हैं और उनकी इच्छा ।। हमारे धर्म की आज्ञाओं के प्रतिकूल नहीं है वरन उन शुभ कार्यों के अनुकूल ही । है जिन का माननीय और पवित्र मुसलमान ने उपदेश किया है । इस कारण हमने उन की प्रार्थना को मान लिया और हुक्म दिया कि उन बारह दिनों में जिन को पचूसर (पजूषण) कहते हैं किसी जीव की हिंसा न की जावे। ___ “यह सदा के लिये कायम रहेगी और सब को इस की आज्ञा पालन करने और इस बात का यत्न करने के लिये हुक्म दिया जाता है कि कोई मनुष्य || अपने धर्म संबंधी कार्यों के करने में दुःख न पावे । मिती ७ जमादुलसानी सन ९९२ हिजरी।" ___इस फरमान के देने का जिक्र एक और दूसरे फरमान में भी है। । हीरविजयसूरि के बाद अकबर ने खरतरगच्छ के आचार्य जिनचंद्रसूरि को भी, । बिकानेर के मंत्री कर्मचंद बच्छावत की, जो कुछ समय तक अकबर के सामाजिकाध्यक्ष थे, प्रेरणा से अपने पास बुलाये थे । उन का दिल भी राजी। रखने के लिये बादशाह ने मुलतान के सूबे में, प्रतिवर्ष, आषाढ महिने के शुक्ल पक्ष के अंतिम ८ दिनों में जीववध के न करने का फरमान लिख दिया था। यह फरमान प्रयाग की सुप्रसिद्ध हिन्दी मासिक-पत्रिका 'सरस्वती' के १९१२ के जून के अंक में (भाग १३, संख्या ६में) प्रकाशित हुआ है जिसे हम यहां पर तद्वत् प्रकट किये देते हैं। मूल फरमान फारसी में है और ऊपर शाही मुहर लगी। Vा हुई है । फारसी का अक्षरान्तर इस प्रकार है: - "फर्मान जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर बादशाह गाजी . हुक्काम किराम व जागीरदारान व करोरियान व सायर मुत्सहियान | मुहिम्मात सूबै मुलतान बिदानंद । “कि चूं हमगी तवज्जोह ख़ातिर खैरंदेश दर आसूदगी जमहर अनाम बल | काफ़फ़ए जाँदार मसरूफ़ व मातूफ़स्त कि तबक़ात आलम दरमहाद अमन बूदा बफ़रागे बाल बइबादत हज़रत एज़िद मुतआल इस्तग़ाल नुमायंद । ब क़ब्ले | अज़ि मुरताज़ खैरअंदेश जैचंदसूर खरतर गच्छ कि बफ़ैज़े मुलाज़िमत हज़रते MAITHIMARAT i wwwmum + इस विषय का विशेष वृत्तान्त देखना हों तो, देखो, 'कर्मचंद्रप्रबंध.' (सिंघी सिरीझ, V भारतीय विद्याभवन-मुंबई) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016007
Book TitleKruparaskosha
Original Sutra AuthorShantichandra Gani
AuthorJinvijay, Shilchandrasuri
PublisherJain Granth Prakashan Samiti
Publication Year1996
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size8 MB
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