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________________ २०८ वर्गीकृत धातु तद्भव देशज अनु. तत्सम अर्ध विदेशी पूर्ण रूप-साम्य रखती हि-गु. धातुएँ 228 162 32 97 21 15 * तुलनात्मक वर्गीकरण : आ इनमें पूर्ण अर्थसाम्य– इनमें आंशिक आंशिक रूपसाभ्य युक्त धातुएँ अर्थसाम्य वाली धातुएँ युक्त हि-गु. धातुएँ 192 123 25 94 Jain Education International 20 14 36 39 7 3 1 हिन्दी - गुजराती धातुकोश 248 146 71 25 75 6 इनमें पूर्ण इनमें आंशिक अर्थसाम्य अर्थसाम्यवाली रखती धातुएँ. धातुएँ For Private & Personal Use Only 208 128 64 23 74 5 40 18 721 एक स्पष्टता यहाँ आवश्यक है। जिन हिन्द - गुजराती धातुओं में पूर्ण रूपसाम्य दिखाई देता है उनमें भी वास्तव में पूर्णतया रूपसाम्य नहीं होता । 'उट', 'आज', 'कर', 'खा' आदि धातुरूप हिन्दी और गुजराती में पूर्ण रूपमाम्य रखते हैं, इनके उच्चारण की आकृतियाँ भी समान हैं। परन्तु 'जड', 'पढ़' आदि में रूपसाम्य नज़र आने पर भी पूर्णतया उच्चारण-साम्य नहीं है । यहाँ लिपि की मर्यादा भाषिक अध्ययन की मर्यादा बनती है । दूसरी ओर हिन्दी 'मिल' और गुजराती 'मळ' में पूर्ण नहीं, आंशिक रूपसाम्य दिखाई देता है परन्तु इन दोनों धातुओं के मूल में तो संस्कृत - प्राकृत 'मिल' है । जो ध्वनिभेद - रूपभेद लक्षित होता है वह तो इन दोनों भाषाओं की स्वतंत्र विकास प्रक्रिया का परिणाम है। इस प्रकार 'मिल' 'और 'मळ' मूलतः पूर्ण रूपसाम्य की धातुएँ होने के बावजूद हिन्दी - गुजराती की वर्तमान भाषिक स्थिति के अनुसार इन्हें आंशिक रूपसाम्ययुक्त धातुएँ मानकर उपर्युक्त गणना की गई है। गुजराती में ह्रस्व-दीर्घ के उच्चारण में वैसा अंतर नहीं है जो हिन्दी में है । इसलिए प्रस्तुत गणना में हिन्दी 'उग' तथा गुजराती 'ऊग' आदि को पूर्ण रूपसाम्ययुक्त धातु माना है। गुजराती में दीर्घ लिखे जाते कई रूपों का टर्नर महोदय ने ह्रस्व लिखा है । 4. फलश्रुति : इस शोधकर्ता के लिए हिन्दी और गुजराती की क्रियावाचक धातुओं का यह तुलनात्मक अध्ययन जिज्ञासापूर्ति का एक विरल निमित्त बना । जिज्ञासा की आंशिक पूर्ति भी विस्मय जगाती है और विस्मयजन्य आनंद जिज्ञासा की नई यात्रा को जन्म देता है । 1 यहाँ रवीन्द्रनाथ की वह उक्ति याद आ जाती है: 'कत आजानारे जानाइले तुमि ।' यदि मैं इस अध्ययन से न गुजरता तो कित - कितनी धातुओं से, इनके रूपवैविध्य से अनजान ही रह जाता ! इनकी सृष्टि भी मानवीय सृष्टि की तरह इतनी रसप्रद हो सकती है यह अब तो अनुभव की बात है, पहले कल्पना भी नहीं थी । अभी सहज रूप से ही एक बंगला पंक्ति याद आ गई ! हो सकता है कि पंजाबी, मराठी और बंगला को मिलाकर इन पाँचों भाषाओं की धातुओं का तुलनात्मक अध्ययन करने का मौका मिले ! अलग अलग व्यक्तियों के द्वारा दो दो भाषाओं के ऐसे तुलनात्मक अध्ययन भी भविष्य में इतना तो सिद्ध कर ही सकते हैं www.jainelibrary.org
SR No.016001
Book TitleHindi Gujarati Dhatukosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghuvir Chaudhari, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1982
Total Pages246
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary, Dictionary, & Grammar
File Size15 MB
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