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"तुम्हें मिला जब जन्म"
तुम्हें मिला जब जन्म, धरा प्राकाश तुम्हें मिला निर्वाण
झुक
कि सौ सौ दीप जल
तुम मुक्तक की प्रथम पंक्ति में ही जीवन का काव्य बन गये जिस को खोज रही सदियां उस मंजिल की तुम राह बन गये तुम मानव से ऊपर उठ कर वीतराग भगवान बन गये । तुम्हें मिला जब जन्म.
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तुम तत्वों के निज स्वरूप को धर्मों का विश्वास दे गये निज स्वरूप का पाठ पढ़ा तुम जीने का अधिकार दे गये जन्म-मरण से ऊपर उठ कर सृष्टि- पुत्र प्रतिवोर बन गये । तुम्हें मिला जब जन्म..
तुम मृत्यु का ग्रहम जीत युग युग शाश्वत् सत्य बन गये तुम संयम की घोर साधना लक्ष्य स्वयं का स्वयं बन गये तुम अवनी से ऊपर उठकर वर्धमान महावीर बन गये । तुम्हें मिला जब जन्म..
गये ।
गये |
सतत साधना से तुम अपनी विश्व वन्द्य वरदान बन गये तुम ऊंच-नीच के तोड़ कगारों को समता की धार बन गये तुम जीवन से ऊपर उठ कर भूत भविष्य वर्तमान बन गये तुम्हें मिला जब जन्म..
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