SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Xxxxxxxxxxx प्रबंध सम्पादक KXXX* XXXXXXXXXXXXXXXXX कलम (**XXXX** 13 नवम्बर सन् 1974 से प्रारम्भ होने वाला भगवान महावीर 2500वां निर्वाण महोत्सव वर्ष न केवल जैनों के लिए अपितु समाज एवं सरकार के लिए कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों का वर्ष रहा है। भारत का शायद ही कोई कोना ऐसा हो जहां इस वर्ष कुछ न कुछ जनहित एवं लोककल्याण के कार्य न सम्पन्न हुए हों। इस वर्ष को सरकार और जनता ने जिस उत्साह एवं सुनियोजित ढंग से मनाया उससे भगवान महावीर का नाम एवं उनके सिद्धान्त न केवल भारत अपितु भारत से बाहर भी गूंज उठे। यह एक प्रकार से महावीर के अहिंसा, अनेकान्त और अपरिग्रह जैसे सिद्धान्तों की विजय थी जो सर्वधर्मसमभाव, सर्वजातिसमभाव, और सर्वप्रारिणसमभाव में प्रतिफलित होते हैं। सरकार की दृष्टि से इस वर्ष की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है दिव्यी उच्च न्यायालय की खण्डपीठ द्वारा 14 फरवरी सन् 1975 को कुछ जैन बन्धुनों प्रौर एक जेनेतर बन्धु द्वारा प्रस्तुत रिटयाचिकामों पर दिया गया निर्णय । इन रिटयाचिकाओं में जो मुख्य मुद्दा उठाया गया था वह यह था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है और इसलिए वह किमी एक धर्म विशेष के महापरुष की स्मति में मनाये जाने वाले उत्सवों में न तो किसी प्रकार का व्यय कर सकती है और न कोई प्रायोजन ही। सरकार का ऐसा करना संविधान के विरुद्ध है क्योंकि इससे जैन धर्म का का प्रचार प्रसार होता है और अन्य धर्मों के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014031
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1975
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1975
Total Pages446
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy