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________________ म्हारे घर पवित्तर कराऊं ने धोबो धोबो पतायां बांटू. घरवाला - एक प्राधी कड़ी तो म्हानं सुरगादे लुगायां रा गीत तो लुगायां गाई म्हानें तो उठने चोवटे जाणोंई पड़सी. चमारी- क्यू चोवटे जावो. भगवान रा भगवानां रा सुपना सब कोई सुणो गावो लुगायां गावावाला रो फल बतावी री हो. धरवाला - तो बतावेनी मालकण. सुरणबानेई तो म्है म्हारो सुपनो तोड़यो. चमारी तो सुणो. (गावे) सुपना जो प्राया राणी तिसला ने श्राया कांई राजा हरस बघाविया जी कोई सुपना जो प्राया सुपना जो गावे ज्यांरो वेकु टवासा नी तो अजगर से अवतारो जी कोई सुपना जो श्रीया. सुपना जो प्राया राणी तिसला गावावाली ने चूड़ा चूदंड कांई जोड़णवाली ने रूपो जी कोई सुपना जो प्राया. घरवालो - गावा ने जोड़वा वाला रो फल तो सुण्यो पर सुरणवावाला ने कई फल नी बतायो, एक एक सबद अमरित री धार ज्यू है. म्हारो तो जलनई सारथक इग्यो. आखी जिनगानी जरबा गांठवा में फूंक दी. चमारी-मनक तो मिनकोड़ा वेबू करे केई बार कयो थांने के वेटी का बापां नेमधेम राखबू करो, चोखो सुगा र चोखो सुगावो पण जरवा रे ठोड़ श्रापरी जबानई जरबो बरणाय लोधी. घरवालः - अकल दोरी आबू करे मंगली ने गंगली ने गंगा र सबने बुलावो, घर लीपावो पूजावो पतावो श्रर गीतां की गंगा चल वो. म्हूं बजार जार भाऊ कई पतास्यां र खोपरा लेर सरनाट करतो पाऊ (जावे) Jain Education International ● दिखावो तोजो. राजम्हेल. दास्यां सोनाबाई रूपाबाई महावीर ने संपड़ाई धुपड़ाई ने काजल टीका करें हाथां पगां पर मामा मांड़े. जरी मखमल रो भगलो, कसीदो काड़ी कछु छ र लालां मोती झड़ी टोपी पेरायने पालरगा में सुलाये दे. परबात की वगत. महावीर रोवे घरणां जदी कदेई सोनाबाई माड़ा लेवे तो कदेई रूपाबाई आपरे खांदेलेरे थपक्यां देवे. मन पड़े तो सो जावे र मन पड़े तो टग्गी पकड़ले जद दोई दास्यां मल ने महावीर ने पालणे सुलार हींदो देवे अर पालखियो गावे. पालगियो पंखी पड़ियो । रतना सू रूड़ो जड़ियो । श्रर सोनारी सांकल कड़ियां श्रो महावीर परभु भूलो पालखिये भूलो. रेसम डोर बलिया । घड़ियो भो महावीर परभु भूलो पालखिये भूलो. । झांझरिया रूड़ा राजे । परभु चाले चतराई सू ठमके प्रो महावीर परभु भूलो पालणिये भूलो. परभु ने नोंद प्रा जावे. सोना रूपा छानेकऊ परी जावे. कोई पांव पायल बाजे कोई तार तार तबिया । अनेकुई कारीगर 3-5 ● दिखावो चोथो ० महावीर कोइ आठेक बरसरा हुआ, संझया री वगत श्रापणे दास्तां रे लार म्हेल कने वाड़ा में जार आमलकी खेल खेलरया. इस खेल में एक खास ठोड़ऊ रूंकड़ा पर जो पेलपोत चड़जावै वो जीत पर हारया ने घोड़ी बरणार सवारी करे घर ठोड़ पोंचे जरण ठोड़ऊ खेल सरू वे. पीपल रो रूक. महावीर प्रापणे साथियां ने इरण खेल की सारी बात समझाय ने बोल्या के ज्यु ई म्हूं "एक दो भागा भो' केऊ के प्रठेऊ दोड़ र पीपल पर चड़जाणो है. महावीर सब त्यार वे जावो, कमर कस लो सावचेत रीजो गेला में कठेई पड़ जावोला तो धूल मेरा वे जावोला घोडा फूटेला अर कीड़ी रावले चली जावेली. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014031
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1975
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1975
Total Pages446
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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