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________________ हाथीगुम्फा शिलालेख को विषयवस्तु कलिंग चक्रवर्ती, ऐल सम्राट खारवेल, ई० पू० का एक मात्र भारतीय सम्राट या ऐतिहासिक महापुरुष है जिसके राज्यकाल के एक पूरे युग का क्रमबद्ध इतिहास शिलाङ्कित रूप में हमें प्राप्त होता है। खारवेल निस्सन्देह जैन राजा था। उसका लेख "णमो अरिहंताणं-गमो सव सिद्धाणं" के मंगल मन्त्र से प्रारम्भ होता है और 'कलिंग-जिन' नामक प्रसिद्ध तीर्थंकर प्रतिमा को पुनर्घाप्ति पौर पुर्न प्रतिष्ठा को उसने अपने कार्य की अन्तिम महद् सफलता के रूप में गिनाया है। यद्यपि इसके पूर्व सम्राट अशोक के अनेक शिला-प्रज्ञापन अस्तित्व में आ चुके थे परन्तु राजा के नाम, तिथिक्रम से उसकी उपलब्धियों मादि के प्रभाव में वे इतिहास की संज्ञा प्राप्त नहीं कर सके हैं। यह अलग बात है कि उन शिला प्रज्ञापनों के माधार पर मौर्यकाल के इतिहास का भवन स्थापित करने में विद्वानों को भारी सफलता प्राप्त हुई है। इसके विपरीत खारवेल का यह शिलालेख अपने संस्थापक राजा के नाम से युक्त अनेक देशों पौर राजवंशों के उल्लेख सहित, खारवेल के युवराज पद से लेकर उसके राज्य के तेरह वर्षों की उसकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों का क्रमवार एवं विगतवार इतिहास प्रकट करता हैं। इस प्रपेक्षा से निर्विवाद ही यह शिलालेख हमारे देश का सर्वाधिक प्राचीन, प्रमाणित और विश्वसनीय, ऐतिहासिक दस्तावेज कहा जा सकता है। हाथीगुम्फा अभिलेख खण्डगिरि-उदयगिरि पर्वत के दक्षिण की पोर लाल बलुवे पत्थर की एक चौड़ी प्राकृतिक गुहा में उत्कीर्ण है। इसमें सत्रह पंक्तियां है और प्रत्येक पंक्ति में 90 से लेकर 100 श्री नीरज जैन, एम. ए. सतना डा० कन्हैयालाल अग्रवाल वाणिज्य महाविद्यालय, सतना, म. प्र. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014031
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1975
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1975
Total Pages446
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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