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________________ 2-8 हुए हैं। विश्व में केवल यह ही एक ऐसी नगरी मुनियों के निवास के लिए बनाई गई अनेक जैन है जिसे किसी तीर्थकर के पांचों कल्याणक होने गुफाएं हैं।' का गौरव प्राप्त है। इसी कारण शास्त्रों में इसकी बन्दना का पुण्य फल नौ करोड उपवास के बराबर औरंगाबाद- जिला गया की गुफामों में धर्म बताया गया है । नाथ नगर और मन्दार पर्वत भी नाथ, अनन्तनाथ, शांतिनाथ, कुथुनाथ, और इसके निकट ही हैं जो प्राचीन समय में चम्पापुरी __ अरहनाथ की मूर्तियां तथा विशाल जैन मन्दिर हैं। भरत के ही भाग थे । सिंहपुरी-जिला सिंह भूम में भ. महावीर कर्णगढ-महाभारत काल में चम्पापूरी की के चिह्न 'सिंह' नाम पर बसाई गई सुन्दर जैन राजधानी थी । प्रसिद्ध दानवीर कर्ण यहां ही का नगरी थी। यह छोटा नागपुर डिवीजन में है। सजा था जिसके किले में वासुपूज्य भगवान काविशाल खुदाइ में यहां से तीर्थकरों की अनेक प्राचीन मन्दिर था । इस स्थान की खुदाई कराने पर मूतियां प्राप्त हुई हैं । महत्वपूर्ण जैन पुरातत्व को सामग्री प्राप्त हो सकती सम्मेद शिखर-जैनों के सम्पूर्ण तीर्थों का है जिससे भारत के इतिहास पर नया प्रकाश पड़ राजा है । पुराणों के अनुसार प्रत्येक काल में होने सकता है। वाले 24 तीर्थंकर यहाँ ही से निर्वाण प्राप्त करते हैं किन्तु वर्तमान हुण्डाव-सर्पिणी के काल दोष से ब्राह्मण योनी-पर्वत गया के निकट एक समय विशाल जैन बस्ती थी जहां से सुप्रसिद्ध इस काल के केवल 20 तीर्थंकरों ने ही यहां से पुरातत्वविद् सर कनिधम ने अश्व चिह्न युक्त निर्वाण प्राप्त किया । जैन शास्त्रों के अनुसार जो तीसरे तीथ कर सम्भवनाथ की मूर्ति खुदाई में __एक बार यहां की वन्दना कर लेता है उसे नरक प्राप्त की थी। गति, तियंच गति तथा स्त्री वेद प्राप्त नहीं होता। हजारों यात्री यहां की यात्रार्थ शाते हैं । यहां के बारबर पर्वत -- गया के निकट है। यहां जैन आदिवासियों में जैन धर्म के प्रति अपार श्रदा है। 1. विस्तार से जानने के लिए देखिए अनेकान्त नवम्बर 1974 पृ. 11 पर प्रकाशित हमारा लेख ___'चम्पापुरी का इतिहास और जैन पुरातत्व । 2. Dr. Klause Fisher : Caves & temples of Jainas (W. J. Mission) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014031
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1975
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1975
Total Pages446
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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