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________________ नवल किशोर शर्मा संसद सदस्य २२६ नार्थ ऐवेन्यू, नई दिल्ली 27-10-75 प्रिय श्री पाटनीजी, __ आपका पत्र मिला तदर्थ धन्यवाद ! भगवान महावीर के 2500 निर्वाण महोत्सव के अन्तिम दिन राजस्थान शाखा ने स्मारिका निकालने का निर्णय कर एक अच्छा काम किया है। भगवान महावीर के सम्बन्ध में और निर्वाण महोत्सव के साल में किये गये कार्य का एक अच्छा संकलन जनमानस की प्रेरणा का स्रोत हो सकता है। मेरा विश्वास है कि राजस्थान प्रांतीय समिति ने निर्वाण महोत्सव के अवसर पर जैसा अच्छा कार्य किया है उस ही के अनुरूप स्मारिका भी निकलेगी। इस अवसर पर मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें। भवदीय, (नवल किशोर शर्मा) यशपाल जैन सम्पादक, 'जीवन साहित्य' 7/8, दरियागंज, दिल्ली-6 27-9-75 प्रिय भाई, यह जानकर हर्ष हुअा कि आप एक स्मारिका का प्रकाशन कर रहे हैं । आपके आयोजन का स्वागत करता हूं और उसकी सफलता के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएं भेजता हूं। - दीपावली आलोक का पर्व है पर हमारी कठिनाई यह है कि हम बाहर के प्रकाश को देखते हैं और उसी की चिन्ता करते हैं, कम ही लोग हैं जो प्रांतरिक प्रकाश पर ध्यान देते हैं। जब तक अन्तर आलोकिक नहीं होगा तब तक बाहरी प्रकाश विशेष लाभदायक नहीं होगा। महावीर ने अपने अन्तर को ऐसा आलोकित किया कि सारी दुनिया जगमगा उठी। आज उसी प्रकाश की आवश्यकता है। आपकी स्मारिका उस दिशा में प्रेरक सिद्ध हो, ऐसी कामना है। विशेष कृपा! सप्रेम आपका (यशपाल जैन) For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.014031
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1975
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1975
Total Pages446
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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