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________________ अध्यक्ष राजस्थान विधानसभा जयपुर दिनांक 15 अक्टूबर, 1975 प्रिय श्री पाटनीजी, ___ मुझे यह जानकर अति प्रसन्नता हुई कि आगामी दीपावली के शुभ अवसर पर राजस्थान प्रान्तीय भगवान महावीर 2500वां निर्वाण महोत्सव महासमिति भगवान महावीर पर एक बृहत् स्मारिका का प्रकाशन करने जा रही है जिसमें भगवान महावीर की जीवनी व उनके बताये गये आदर्शों का दिग्दर्शन होगा। । यदि हम तनिक भी किसी महान प्रात्मा की ओर दृष्टि डालें तो हमें ज्ञात होगा कि वे किसी एक समाज विशेष या एक देश की धरोहर नहीं होते बल्कि वे सारे विश्व तथा मानव मात्र के हितैषी होते हैं-उसी प्रकार भगवान महावीर ने भी जाति पांति, ऊंच नीच व छोटे बड़े का भेदभाव भुलाकर सबको समान दृष्टि से देखा और सबको अपने उपदेश से लाभ पहुँचाया। भगवान महावीर सत्य और अहिंसा के पुजारी थेवास्तव में देखा जाय तो हम महापुरुषों को भूलते जा रहे हैं सिर्फ औपचारिकता के नाते उनके जन्म दिवस व निर्वाण दिवस पर उनकी याद कर लेते हैं - दरअसल हम हमारे महान् पुरुषों के बताये गये मार्गों से भटक गये हैं और यही कारण है कि आज समाज व देश में अशांति व अहिंसा का वातावरण पनप रहा है-- सही माने में भगवान महावीर का निर्वाण महोत्सव मनाना तो तभी सार्थक होगा कि जब हम उनके बताये गये मार्गों-आदर्शों पर चलें उनका अनुसरण करें। मुझे खुशी है कि इस स्मारिका से समाज व पाठकों के हृदयों में एक बार पुनः भगवान महावीर के बताये गये मार्गो-प्रादर्शों के प्रति सजग होने का मौका मिलेगा । अन्त में मैं आपके इस प्रयास एवं स्मारिका की सफलता की कामना चाहता हूं। आपका, (रामकिशोर व्यास) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014031
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1975
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1975
Total Pages446
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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