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________________ बौद्धदर्शन में कालतत्त्व “अतीतं चेद् भिक्षवो रूपं नाभविष्यत्, न श्रुतवान् आर्यश्रावकोऽतीते रूपेऽनपेक्षोऽभविष्यत्। यस्मात्तर्हि अस्त्यतीतं रूपं तस्मात् श्रुतवानार्यश्रावकोऽतीते रूपेऽनपेक्षो भवति। अनागतं चेद् रूपं नाभविष्यत् न श्रुतवानार्यश्रावकोऽनागतं रूपं नाभिनन्दिष्यत"। यस्मात्तर्हि अस्त्यनागतं रूपम्, तस्मात् श्रुतवानार्यश्रावको ऽनागतं रूप नाभिनन्दिष्यति' । सौत्रान्तिक आप इस बुद्धवचन से जो अतीत, अनागत की सत्ता सिद्ध करना चाहते हैं, यह कथमपि सम्भव नहीं है, क्योंकि आप बुद्ध के अभिप्राय को समझते ही नहीं हैं। भगवान् बुद्ध इस वचन से केवल हेतु का पहले होना और बाद में फल का अवश्य होना मात्र दिखलाना चाहते हैं। इस वचन के द्वारा भगवान् उन लोगों की मिथ्या दृष्टि का निवारण करना चाहते हैं, जो हेतु और फल का अपवाद करते हैं। २. वैभाषिक सूत्र में कहा गया है कि दो की अपेक्षा से विज्ञान का उत्पाद होता है, जैसे चक्षु और रूप की अपेक्षा से चक्षुर्विज्ञान का उत्पाद होता है। इसी तरह मन इन्द्रिय और धर्म की अपेक्षा से मनोविज्ञान का उत्पाद होता है। यदि अतीत, अनागत रूप आदि न होंगे तो उनको आलम्बन बनाकर दो (मन और धर्म) की अपेक्षा से मनोविज्ञान का उत्पाद न हो सकेगा। अत: अतीत, अनागत रूप आदि हैं। सौत्रान्तिक आपने अतीत, अनागत रूप आदि की सिद्धि के लिए 'द्वयं प्रतीत्य विज्ञानस्योत्पादः' इस भगवद् वचन को जो प्रमाण के रूप में उद्धृत किया है, उससे भी आपके मनोरथ की सिद्धि न हो सकेगी। पहले यह विचारणीय है कि अतीत, अनागत रूप आदि मनोविज्ञान के जनक-प्रत्यय हैं अथवा आलम्बन-प्रत्यय हैं? यदि वे जनक-प्रत्यय हैं तो क्यों वे मनोविज्ञान को सैकड़ों हजारों वर्षों के अनन्तर उत्पन्न करेंगे? क्यों नहीं इसी समय तत्काल उत्पन्न करते? इसका आपके पास क्या जबाब है? यदि अतीत, अनागत रूप आदि आलम्बन मात्र है तो हमारा इससे कोई विरोध नहीं है, क्योंकि अतीत, अनागत का आलम्बन मात्र हमें मान्य है। १. द्र.-अभिधर्मकोशभाष्य, पृ. ८०४ (बौद्धभारती-संस्करण)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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