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________________ ६४ ३. अनित्य द्रव्य स्वरूप काल पाशुपत आगम, सिद्धान्तागम तथा वीरशैव मतों में काल की अनित्य द्रव्य के रूप में मान्यता है। श्रमणविद्या- ३ ४. प्राज्ञप्तिक या व्यावहारिक काल शाङ्कर अद्वैत दर्शन, सांख्य दर्शन और शाक्त मत के अनुसार काल की पारमार्थिक सत्ता नहीं है । वह एक प्राज्ञप्तिक धर्म है, जिसकी व्यावहारिक सत्ता है। समस्त ज्ञेय धर्मों में काल अत्यन्त सूक्ष्म धर्म (पदार्थ) हैं। समस्त संस्कृत वस्तु-जगत् काल का ही विलासमात्र है। काल से निरपेक्ष वस्तु की सत्ता की कल्पना नहीं की जा सकती। काल का अभिप्राय वस्तु का वह घटनाक्रम है, जो हेतु-प्रत्ययों की अन्योऽन्याश्रयता से घटित होता है। हेतुप्रत्ययों से अभिसंस्कृत संस्कार धर्म ही काल हैं। नाम रूप आदि वस्तुओं के क्षण, क्षणसन्तति, ग्रह-नक्षत्र की गति आदि की अपेक्षा से जो क्षण, लव, मुहूर्त, दिवस, मास, संवत्सर आदि व्यवहार लोक में प्रवृत्त होते हैं, उन्हीं के आधार पर विद्वानों ने काल की कल्पना की है। वस्तुतः क्षण, लव, मुहूर्त्त आदि मात्र वौद्धिक और प्रज्ञप्तिमात्र हैं। जिस कल्पित रेखा के द्वारा भूत, भविष्य, वर्तमान आदि का विभाजन किया जाता है, वही काल है। इससे अतिरिक्त काल की सत्ता सिद्ध नहीं है। वस्तु से अतिरिक्त (भिन्न ) काल या काल से अतिरिक्त नाम, रूप आदि वस्तु की सत्ता सिद्ध नहीं है। हेतु प्रत्यय-सामग्री के समवधान से जो घटना घटित होती है, वही वस्तुसत्ता है। इस प्रकार घटनामात्र और क्षण, लव, मुहूर्त्त आदि कलापमात्र काल है। [ ख ] बौद्ध धारा प्रश्न है कि अर्थक्रियासामर्थ्य ही वस्तु का लक्षण है, वह अर्थक्रिया क्षणिक और उत्पाद समनन्तर विनाशस्वभाव नितान्त अस्थिर वस्तु में कैसे घटित हो सकती है ? पूर्ववर्ती कारण सामग्री से अनन्तरवर्ती घटना घटित होती है, वह घटनामात्र, उत्पादमात्र, क्रियामात्र या गतिमात्र ही वस्तु है, कोई अतिरिक्त कारक नहीं हैं। इस घटनाप्रवाह में ही काल की प्रज्ञप्ति होती है। - १. क्षणिकाः सर्वसंस्कारा अस्थिराणां कुतः क्रिया । भूतिर्येषां क्रिया सैव कारकं सैव चोच्यते । । तत्त्वसंग्रहपञ्जिका, पृ. १४ प्रथमभाग । द्र. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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