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________________ ५४ श्रमणविद्या-३ वे दिखाते है कि दूसरो के दोषो को देखना आसान है। सर्वथा अपने दोषो को दूसरों से छिपाने का प्रयास रहता है। सुदस्सं वज्जं अजेसं अत्तनो पन दुद्दसं ।। परेसं हि सो वज्जानि ओपुणाति यथाभुसं ।। अत्तनो पन छादेति कलिं व कितवा सठो । उनका ध्यान व्यक्ति पर केन्द्रित है। उनकी चेष्टा भी चरित्र के आदर्शों की सृष्टि, मनुष्य के व्यवहार का माननिर्णय, मनुष्य के जीवन के मूल्यों को, चेष्टाओं को और अभिज्ञताओं को उँचा उठाना; वे न तो कोई धर्मसुधारक थे और न ही उन्होनें उस जमाने की रीति के अनुसार समझे जाने वाले तथाकथित धर्म के रूप में किसी धर्म सिद्धान्त या तत्त्व की बात कही। अपने शिष्यो को सिद्धान्त या धर्मसार की शिक्षा देने के बजाय जैसा कि राधाकृष्णन ने कहा है, बुद्ध ने एक प्रकार का स्वभाव और अभ्यास गढने की चेष्टा की थी। अपने अनुयायियों को दिये उनके इस उपदेश में एक सचेत आवेग व्यक्त हुआ है। वह कहते हैं कि अगर कोई उनकी निन्दा करता हो या उनके उपदेशों में दोष निकालता हो तो भी वे अप्रसन्नता या क्रोध से विचलित न हों। कारण ऐसी स्थिति में वे लोग समालोचना की सच्चाई या बुराई नहीं जाँच सकेगें। अपने अनुयायियों को उन्होनें किसी मित्र की सच्ची समालोचना का विरोध न करने को कहा और ऐसे मित्रों की संगत में रहने को कहा जो कि सदाचारी और मनुष्यों में श्रेष्ठ हो। "भजेथ मित्ते कल्याणे, भजेथ पुरिसुत्तमे । __ वे चाहते थे कि उनके शिष्य उनकी यक्ति को अपने जीवन का आधार बनायें और उन्होने यह भी उपदेश दिया कि वे उनके शब्दों को जीवन और तर्क द्वारा बिना जाँच किए न स्वीकारें। मनुष्यों को जीवन की परिस्थितियों को यथासम्भव आदर्श बनाने को कहा। विश्व में सबसे बड़ी ताकत है उस महान् चरित्र की जिसका गठन विचारशील मन द्वारा हुआ हो। चरित्रवान मनुष्य का कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। आवेग जो कि सब बुराइयों की जड़ है, विचारशील मन में स्थान नहीं बना पाता। उनके लिए विश्व बुरा नहीं वरन् १. वही. २५२ २. Radhakrishnan s Dhammapada. Int. p.13 १. वही. ७८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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