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________________ निरौपम्यस्तव एवं परमार्थस्तव के दुःखों का निवारण करते हों या अपने को प्राप्त ज्ञान का लोगों में स्थानान्तरण कर देते हों। इसीलिए सूत्र में कहा गया है कि न प्रक्षालयन्ति मुनयो जलेन पापं नैवापकर्षन्ति करेण जगददुःखम् । नैव च संक्रमते ह्यन्येषु स्वाधिगमः सद्धर्मतादेशनया विमोचयन्ति।। बोधिप्राप्त होने के बाद सर्वप्रथम सारनाथ में बुद्ध ने जो चतुर्विध आर्यसत्य पर आधारित उपदेश प्रथम धर्मचक्र के रूप में दिया था, वह स्वलक्षणसत्ता या स्वभावसत्ता पर आधृत था और मुख्यतः श्रावकवर्गीय स्वभावसत्तावादियों के लिए था। महायानसिद्धान्तवादियों की दृष्टि से यह देशना नेयार्थ देशना है। गृध्रकूट पर्वत आदि में प्रज्ञा पारमिता सूत्रों की जो देशना की गयी थी और जिनका मुख्य विषय शून्यता, अनुत्पाद, अनिरोध तथा निस्स्वभावता आदि हैं, वे द्वितीय धर्मचक्र कहलाते हैं। वे निस्स्वभावतावद के समर्थकों के लिए थे। वैशाली आदि स्थानों में स्वाभाव की दृष्टि से धर्मों का विभाजन करके तृतीय धर्मचक्र की देशना की गयी हैं, जिस के विनेयजन श्रावक एवं महायानी दोनों प्रकार के सत्त्व हैं। यही देशना विज्ञानवाद दर्शन का मूलाधार है। ___इन तीन धर्मचक्रों को लेकर नेयार्थ एवं नीतार्थ की लम्बी व्याख्या हैं, किन्तु यहाँ केवल माध्यमिकवाद दर्शन के विषय में कतिपय तथ्यों को ही प्रस्तुत किये जा रहे हैं जिनका सम्बन्ध प्रस्तुत लघुग्रन्थों से हैं। माध्यमिकवाद का प्रारम्भ माध्यमिकवाद या शून्यतावाद समानार्थक है। मध्यमकवाद का विचार बुद्ध का मूल्यविचार हैं। बुद्ध की दृष्टि से जीवन में भी मध्यमवाद आवश्यक है। अत्यन्त विलासिता पूर्ण जीवन तथा अत्यन्त तपश्चर्या-ये दोनों ही 'अन्त' है। इनसे रहित मध्यमजीवन ही आदर्शजीवन है। नित्य शाश्वत आत्मा का आस्तित्व तथा परलोकगामी चित्त-चैतसिकों का अभाव-ये दो भी ‘अन्त' हैं। इन में पतित न होकर मध्यम दृष्टि सम्यग्दृष्टि हैं। नित्य आत्मा की सत्ता नहीं है तथा चित्तधारा पुण्य-पाप आदि के भार को लेकर परलोक जाती हैं। अत: शाश्वत एवं उच्छेद इन दो अन्तों से हटकर मध्यममार्ग पर चला जा सकता हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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