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________________ बुद्धघोसुप्पत्ति यह पुस्तक आठ परिच्छेदों में विभक्त है। महामंगल स्थविर ने सर्वप्रथम बुद्ध, धम्म एवं संघ की वन्दना की है और बताया है कि मैं बुद्धघोष की उत्पत्तिकथा का यथाभूत वर्णन कर रहा हूँ। बन्दित्वा रतनत्तयं सब्बपापपवाहनं । बुद्धघोसस्स उप्पत्तिं वण्णयिस्सं यथाभूतं ।। इन्होंने यह भी कहा है कि जो सद्यः इस सम्यक्सम्बुद्ध द्वारा वर्णित बुद्धघोष के निदान को सुनेगा वह स्वर्ग एवं मोक्ष का अधिकारी होगा क्योंकि यह सुख एवं मोक्षदायक है। इससे यह ज्ञात होता है कि बुद्धघोसुप्पत्ति का दूसरा नाम 'बुद्धघोष का निदान' भी है। बुद्धघोष की उत्पत्ति का वर्णन करते हुए कहा गया है कि भगवान् बुद्ध के निर्वाण के दो सौ छत्तीस वर्ष बाद स्थविर महेन्द्र लंका में बुद्ध-उपदेशों को ले गये थे। उनके परिनिर्वाण के उपरान्त बुद्धघोष नामक स्थविर उत्पन्न हुए। उनके उत्पन्नमात्र को बताते हुए कहा गया है कि- महाबोधि के समीप घोष नामक एक गाँव था। गोपालों का निवास स्थान होने के कारण इसका नाम 'घोस गाँव' था। वहाँ एक राजा राज्य करता था। उसका 'केसी' नामक ब्राह्मण पुरोहित था। वह श्रेष्ठ गुरु तथा राजा का अत्यन्त प्रिय था। 'केसनी' उसकी धर्मपत्नी थी। 'तस्सेव केसिनी नाम ब्राह्मणी च विसारदी । ब्राह्मणस्स पिया होति गरुट्ठा व अनालसा' ति ।। उस समय 'बुद्धदेशना' (तिपिटक) सीहलभाषा में होने के कारण अन्य लोग 'परियत्तिशासन' (सम्पूर्ण बुद्धवचन) के अर्थ को नहीं जान सकते थे, इसलिए- ऋद्धिसम्पन्न महाक्षीणास्रव एक महास्थविर ने चिन्तन किया कि स्वर्गलोक में घोसदेव पुत्र निवास करता है यदि वह इस लोक में प्रादुर्भूत हो तो भगवान् बुद्ध के शासन को सीहलभाषा से मागधीभाषा में परिवर्तन करने में समर्थ हो सकता है। चिन्तन के अनन्तर महास्थविर तावतिसभवन में देवराज शक्र के सामने प्रगट हुए। देवराज ने आने का कारण पूछा तो महास्थविर ने कहा कि इस समय भगवान् बुद्ध का शासन लोगों के लिए दुर्विज्ञेय है, क्योंकि वह सीहलभाषा में कथित है। आपके इस देवलोक में घोसदेव पुत्र नामक एक देव-पुत्र निवास करता है वह प्रज्ञावान् है और पूर्वबुद्धों की सेवा एवं साक्षात्कार १. तस्मा सुणेय्य सक्च्चं सम्मासम्बुद्ध वणितं । बुद्धघोसस्स निदानं सग्गमोक्खसुखावहं ति ।। बु.घो. पृ.१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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