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________________ ( १३ ) के सम्मान पर हर्ष व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह अत्यन्त गौरव का विषय है कि विश्वविद्यालय सरकार के भरोसे न रहकर अपने बल पर विद्वानों का सम्मान कर रहा है, इससे संस्कृत के विद्वानों में आत्मविश्वास बढ़ा है और वे अपने आपको गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं । उद्घाटन समारोह के पश्चात् २१ से २३ सितम्बर तक चार व्याख्यानसत्र चले, जिनमें 'पत्रकारिता में संस्कृत का अवदान', 'संस्कृत - पत्रकारिता की ऐतिहासिक परम्परा', 'दैनिक संस्कृत - पत्रकारिता का मार्ग निर्देशन' एवं 'संस्कृतपत्रकारिता की लोकमङ्गल - भावना' विषय पर विभिन्न विद्वानों ने अपने गम्भीर व्याख्यान एवं निबन्ध प्रस्तुत किये । व्याख्यानकर्ताओं में प्रो. रेवाप्रसाद द्विवेदी, पण्डित श्री शिवजी उपाध्याय, श्री केदारनाथ त्रिपाठी, प्रो. राधेश्यामधर द्विवेदी, प्रो. रामजी उपाध्याय, प्रो. श्रीकान्त पाण्डेय, 'माया' मासिक पत्रिका के पत्रकार श्री वसिष्ठ मुनि ओझा, डॉ. सोमनाथ त्रिपाठी आदि विद्वान् प्रमुख थे। २३ सितम्बर, १९९९ को अपराह्न ३ बजे से शताब्दी- भवन में त्रिदिवसीय सङ्गोष्ठी का सम्पूर्तिमङ्गल एवं 'सारस्वती सुषमा स्वर्णजयन्ती - विशेषाङ्क' का लोकार्पण समारोह प्रारम्भ हुआ । इस सत्र के अध्यक्ष माननीय कुलपति प्रो. राममूर्ति शर्मा जी एवं मुख्य अतिथि पूर्वकुलपति माननीय प्रो. वि. वेङ्कटाचलम् जी थे। अतिथियों का स्वागत करते हुए माननीय कुलपति प्रो. शर्मा ने संस्कृत-वर्ष में सम्पन्न होने वाली अपनी योजनाओं से लोगों को अवगत कराया एवं ‘सारस्वती सुषमा' की गुणवत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह मात्र पत्रिका नहीं है, बल्कि ग्रन्थमाला है। इसमें संस्कृतवाङ्मय की सम्पूर्ण शाखाओं के विषय उपलब्ध होते हैं । सारस्वती सुषमा के स्वर्णजयन्ती - विशेषाङ्क का परिचय देते हुए पत्रिका के सम्पादक एवं प्रकाशन निदेशक डॉ. हरिश्चन्द्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि विद्वानों के चिन्तन-मनन के लिए संस्कृत वाङ्मय की सभी शाखाओं के लेख इसमें संयोजित किये गये हैं। इसमें वैदिकी, तान्त्रिकी, शाब्दिकी, ज्यौतिषी, दार्शनिकी, साहित्यिकी, . पौराणिकी, सांस्कृतिकी एवं प्राकीर्णिकी सुषमा का निवेश है। इस विश्वविद्यालय की त्रैमासिकी अनुसन्धान पत्रिका का एकावनवाँ वर्ष का यह अङ्क स्वर्णजयन्ती - विशेषाङ्क के रूप में आप लोगों के करकमलों में समर्पित करता हुआ प्रकाशन संस्थान गौरवान्वित हो रहा है। स्मरणीय है कि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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