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________________ ११० श्रमणविद्या-३ एवं शिल्पियों ने बौद्धो को सुस्पष्ट एवं सुनिश्चित व्यक्तित्व के महत्त्व को सिखाया और बौद्धों ने यूनानी देवताओं से मिलते जुलते अर्ध दैवी एवं अर्ध मानवीय सत्त्वों की आराधना के उद्देश्य से बोधिसत्त्वों के देव-कुल का आविष्करण किया। __ इतना तो सस्पष्ट ही है कि गान्धार कला के अभ्युदय के रूप में यूनानी प्रभाव ने बौद्ध धर्म में एक नूतन युग का सूत्रपात किया जिससे भविष्य में बुद्ध एवं बोधिसत्त्वों की अवधारणा भी सर्वथा अप्रभावित नहीं रह सकी। अव्यक्त एवं अमूर्त प्रत्ययों के समूर्तीकरण द्वारा यूनानियों ने न केवल बौद्ध कला अपितु समस्त बौद्ध धर्म के कलेवर को ही रूपान्तरित कर दिया। ईसाई धर्म एवं बोधिसत्त्व-अवधारणा 'बोधिसत्त्व-अवधारणा' की सुस्पष्ट संरचना भारतीय भूमि में ईसाई धर्म की स्थापना से बहुत पूर्व हो चुकी थी। अत: इस अवधारणा के अभ्युदय में ईसाई धर्म के प्रभाव होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। किन्तु भू-खण्डों में बोधिसत्त्व-यान एवं ईसाई धर्म इन दोनों के समकालीन अस्तित्व की बात आधुनिक विद्वानों द्वारा प्रतिपादित की जाती हैं, वहां बौद्धधर्म के पहुँचते एक तो यह अवधारणा एक सुनिश्चित स्वरूप ग्रहण कर चुकी थी दूसरे इस अवधारणा के सैद्धान्तिक पक्ष में ऐसे कुछ ही तथ्य हैं जिनका ईसाई धर्म की कतिपय अवधारणाओं से साम्य प्रदर्शित किया जा सकता है और यह साम्य मात्र आकस्मिक भी तो हो सकता हैं। वैसे इस बात की पूरी सम्भावना तो है ही कि दक्षिण भारत, मध्य एशिया, सीरिया, सिकन्दरिया जैसे स्थानों में बौद्धों एवं योरोप तथा पश्चिम एशियाई ईसाई देशों के मध्य सम्पर्क के कतिपय माध्यम रहे हों। इन प्रदेशों के अनेक स्थानों में बौद्धों श्रमणों एवं भारतीयों की उपस्थिति के अनेकों साहित्यिक साक्ष्य प्राप्त हैं। इनमें से कतिपय साक्ष्य ईसाई धर्म पर बौद्ध धर्म के प्रभाव का संसूचन भी प्रतिपादित करते है। यद्यपि सन्त टामस जैसे ईसाई १. हरदयाल 'बोधिसत्व डाक्ट्रिन' पृ.३९ । २. एच. जी. रालिसंन ‘इन्टरकोर्स' पृ. १६३, १७४ ए. लिली 'बुद्धिज्म' पृ. २३२ ई.जे. __टामस 'बुद्ध' पृ.२३७। ३. वही। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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