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________________ १३४ श्रमण विद्या 140) जो जम्हि संछुहंतो णियमा बंधसरिसम्हि संछुहइ । बंधे ही दर अहिए वा संकमो णत्थि ॥ 141) संकामणपट्ठवगो माणकसायस्य वेदगो कोधं । छुहृदि अवेतो माणकसाये कमो सेसे || 142) बंधो व संकमो वा उदयो वा तह पदेस - अणुभागे । अधिगम व होणो गुणेण किं वा विसेसेण || 143) बंधे होई उदयो अहिओ उदएण संकमो अहियो । अतगुणा बोद्धव्वा होइ अणुभागे || 144) बंधे होइ उदओ अहिओ उदएण संकमो अहिओ । गुणसे असंखेज्जा च पदेसग्गेण बोद्धव्वा ॥ 145) उदओ च अनंतगुणो संपहि बंधेण होइ अणुभागे । सेकाले उदयादो संपहि बंधो अनंतगुणो ॥ 146) गुणसेढि अनंतगुणेणूणाए वेदगो दु अणुभागे । गणादियंत सेढी पदेसअग्गेग बोद्धव्वा ॥ 147) बंधो व संकमो वा उदओ वा किं सगे सगे ठाणे । से काले से काले अधिओ हीणो समो वा पि ॥ 148) बंधोदएहिं णियमा अणुभागो होदि णंतगुणहीणो । से काले से काले भज्जो पुण संकमो होदि || 149) गुणसेढि असंखेज्जा च पदेसग्गेण संकमो उदओ । से काले से काले भज्जो बंधो पदेसग्गे ॥ 150 ) गुणदो अनंतगुणहीणं वेदयदि नियमपा दु अणुभागे । अहिया च पदेसग्गे गुणेण गणणादियंतेण || 151) कि अंतरं करेंतो वढदि हायदि ट्ठिदी य अणुभागे । विक्कमा च वड्ढी हाणी वा केच्चिरं कालं ॥ 152) ओवट्टण! जहण्णा आवलिया ऊणिया तिभागेण । एसा ट्ठदीस जण्णा तहाणुभागे सणंतेसु | संकाय पत्रिका - २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014029
Book TitleShramanvidya Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1988
Total Pages262
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size9 MB
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