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________________ २८२ (घ) पउमचरिउ - भूमिका (ङ) तुलनात्मक भाषाविज्ञान (च) प्राकृत भाषा और उसका इतिहास ४. ज्यून्स ग्लास के फर्लांग लेक्चर्स, १९२८ ५. प्राकृतिज्म इन द ऋग्वेद ६. एलटिडिश्चे ग्रामेटिक ७. प्राचीन भारतीय साहित्य, भाग-१, ८. वैदिक प्रक्रिया ९. विन्तरनित्ज़, वही पृ० ३४-३५ १०. ( क ) सिद्ध हेमशब्दानुशासन जैन विद्या एवं प्राकृत : अन्तरशास्त्रीय अध्ययन डा० भायाणी डा० पी० डी० गुणे, पृ० १२० आदि डा० हरदेव बाहरी दिल्ली पृ० १३ ( ख ) प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, डा० नेमिचन्द्र शास्त्री वाराणसी १९. कत्रे वही पृ०६१ २०. कत्रे वही पृ० ६१-६२ २१. कत्रे वही पृ० ६१ जी० वी० देवस्थली प्रोसीडिंग्स आफ द सेमिनार इन प्राकृत स्टडीज, १९६९ पृ० १९९-२०५ बाकरनागल, १८९६-१९०५ पृ० १८ आदि to विन्तरनित्ज़, (अनु) पृ० ३५ पाणिनि २-४-६२ इत्यादि ११. डा० गुणे, वही, पृ० १०८ आदि । १२. कत्रे, वही, पृ० ६१-६२ १३. ऋग्वेद- गायत्री तपोभूमि, मथुरा १९६० १४. अथर्ववेद - विश्वेश्वरानंद शोध संस्थान, १९६० १५. यजुर्वेद - आर्य साहित्य मंडल लि०, अजमेर वि० सं० १९८८ १६. प्राकृत मार्गोपदेशिका पृ० ११७ २२. नही पृ० ६१ २३. वही पृ० ६१ २४. वही पृ० ६१ २५. वही पृ० ६२ २६. बेचरदास, वही पृ० ११५ परिसंवाद -४ हेमचन्द्र ( अनुवादक - प्यारचन्द महाराज ) १७. वही पृ० ११७ १८. सामवेद-आर्य साहित्य मंडल लि०, अजमेर वि० सं० १९८८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014026
Book TitleJain Vidya evam Prakrit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1987
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size20 MB
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