SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महावीर की वीरता में दौड़-धूप नहीं, उछल- टूटने का सवाल ही नहीं उठता। वे तो बचपन से ही कूद नहीं, मारकाट नहीं, हाहाकार नहीं, अनन्त शांति सरल, शांत एवं चिंतनशील व्यक्तित्व के धनी थे। है। उनके व्यक्तित्व में वैभव की नहीं, वीतराग-विज्ञान उपद्रव करना उनके स्वभाव में ही न था और बिना की विराटता है। उपद्रव के दांत टूटना, घुटने फूटना संभव नहीं। जब-जब यह कहा जाता है कि महावीर का कुछ लोगों का कहना यह भी है कि न सही जीवन घटना-प्रधान नहीं है, तब उसका आशय यही बचपन में, पर जवानी तो घटनाओं का ही काल है। होता है कि दुर्घटना-प्रधान नहीं, क्योंकि तीर्थंकर के जवानी में तो कुछ न कुछ घटा ही होगा। जीवन में आवश्यक शुभ घटनायें तो पंचकल्याणक ही पर बन्धवर ! जवानी में दुर्घटनाएँ उनके साथ हैं। वे तो महावीर के जीवन में घटी ही थीं। दुर्घटनाएँ घटती हैं, जिन पर जवानी चढ़ती है महावीर तो जवानी घटना कोई अच्छी बात तो है नहीं कि जिनके घटे बिना पर चढ़े थे, जवानी उन पर नहीं। जवानी चढने का अर्थ जीवन, जीवन ही न रहे और एक बात यह भी तो है है-यौवन संबंधी विकृतियाँ उत्पन्न होना और जवानी कि दुर्घटनाएँ या तो पाप के उदय से घटती है या पर चढ़ने का तात्पर्य शारीरिक सौष्ठव का पूर्णता को पापभाव के कारण। प्राप्त होना है। जिसके जीवन में न पाप का उदय हो और उन्होंने द्रोह का अभाव किया था, अत: उन्हें न पापभाव हो, तो फिर दुर्घटनाएँ कैसे घटेंगी, क्यों अद्रोही ही कहा जा सकता है, विद्रोही नहीं। द्रोह, द्रोह घटेंगी? अनिष्ट संयोग पाप के उदय के बिना संभव को उत्पन्न करता है, द्रोह से अद्रोह का जन्म नहीं हो नहीं हैं तथा वैभव और भोगों में उलझाव पापभाव सकता। उन्होंने किसी के प्रति विद्रोह करके घर नहीं के बिना असम्भव है। छोड़ा था। उनका त्याग विद्रोहमूलक न था। उनके भोग के भावरूप पापभाव के सद्भाव में त्याग और संयम के कारणों को दूसरों में खोजना उनके घटनेवाली घटनाओं में शादी एक ऐसी दुर्घटना है, साथ अन्याय है। वे 'न काहू से दोस्ती न काहू से बैर' जिसके घट जाने पर दुर्घटनाओं का कभी न समाप्त के रास्ते पर चले थे। होनेवाला सिलसिला आरम्भ हो जाता है। सौभाग्य वैराग्य या विराग राग के अभाव का नाम है, से महावीर के जीवन में यह दुर्घटना न घट सकी। विद्रोह का नाम नहीं। वे वैरागी राग के अभाव के कारण एक कारण यह भी है कि उनका जीवन घटना-प्रधान बने थे. न कि विद्रोह के कारण। महावीर वैरागी नहीं है। . राजकुमार थे, न कि विद्रोही। महावीर जैसे अद्रोही लोग कहते हैं कि बचपन में किसके साथ क्या महामानव में विद्रोह खोज लेना अभूतपूर्व खोजबुद्धि नहीं घटता, किसके घुटने नहीं फूटते, किसके दांत नहीं का परिणाम है, बालू में तेल निकालने जैसा यत्न है, टूटते? महावीर के साथ भी निश्चितरूप से यह सब कुछ बन्ध्या के पुत्र के विवाह-वर्णनवत् कल्पना की उड़ाने घटा ही होगा, भले ही आचार्यों ने न लिखा हो। हैं, जिनका न ओर है न छोर। पर भाई साहब ! दुर्घनाएँ बचपन से नहीं, घर में जो कुछ घटता है, अपनी ओर से घटता बचपने से घटती हैं, महावीर के बचपन तो आया था, है, पर वन में तो बाहर से बहुत कुछ घट जाने के प्रसंग पर बचपना उनमें नहीं था, अत: घुटने फूटने और दांत रहते हैं, क्योंकि घर में बाहर के आक्रमण से सुरक्षा का महावीर जयन्ती स्मारिका 2007-1/32 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014025
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 2007
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year2007
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy