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________________ सन्देश । सत्यमेव जयते मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि राजस्थान जैन सभा जयपुर दारा भगवान महावीर की पावन जयन्ती के अवसर पर गत 43 वर्षों से महावीर जयन्ती स्मारिका का प्रकाशन किया जा रहा है । मुझे आशा है यह स्मारिका पठनीय, संग्रहणीय व प्रेरणा का स्रोत बनेगी। भगवान महावीर ने तो प्राणी मात्र के प्रति प्रेम दया व करुणा का संदेश दिया था, हम उसी महावीर के अनुयायी हैं। एक बार पुनः हमें अपनी सोच को मजबूत करना होगा और भारतीय संस्कृति के परम मंत्र अहिंसा परमोधर्म: को गहराई से आत्मसात् करना होगा। जीव जन्तुओं की रक्षा करनी होगी। इसी को हृदयंगम कर साधु-संतों ने जीवदया को धर्म का एक प्रमुख स्तम्भ माना है। मैं आपके प्रयासों की सराहना करते हुए प्रकाशित होने वाली स्मारिका की सफलता हेतु अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ। गांधीनगर 22 मार्च,2007 नवल किशोर शर्मा राज्यपाल, गुजरात महावीर जयन्ती स्मारिका 2007 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |
SR No.014025
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 2007
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year2007
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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