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________________ आलेख मंत्री की लेखनी से... सम्पूर्ण विश्व में आस्थाओं के केन्द्र विश्व वंद्य आभारी हैं। स्मारिका में जिन विद्वान्, लेखकों व 1008 तीर्थंकर महावीर का 2606वाँ जन्म जयन्ती कवियों ने रचनाएँ भिजवाई हैं, उनके प्रति मैं आभार समारोह दिनांक 28 मार्च से 31 मार्च 2007 तक प्रकट करता हूँ। राजस्थान जैन सभा द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के साथ इस वर्ष भी सभा की कार्यकारिणी ने स्मारिका मनाया जा रहा है। आचार्य श्री विशदसागरजी महाराज, के प्रधान सम्पादक गुरुतर भार प्रसिद्ध विद्वान डॉ. आचार्य श्री निर्भयसागरजी महाराज, मुनि श्री विनम्र प्रेमचन्दजी रावका को सौंपा है। डॉ. रांवकाजी ने सागरजी महाराज, मुनि श्री पावनसागरजी महाराज, अत्यधिक व्यस्तताओं के बावजूद हमारे अनुरोध को मुनि श्री श्रेयाससागरजी महाराज ससंघके पावन सानिध्य स्वीकार कर स्मारिका में उच्च स्तरीय लेखों एवं में इस वर्ष महावीर जयन्ती समारोह मनाया जा रहा है। कविताओं का संकलन कर अपनी प्रतिभा का परिचय मैं उनके चरणों में नमन करता हूँ। दिया है। भारत वर्ष के मूर्धन्य विद्वानों के लेख एवं भगवान महावीर के उपदेशों का जनमानस में आचार्यों व मुनिराजों के आशीर्वाद प्राप्त कर स्मारिका प्रचार-प्रसार व सभा को सामाजिक गतिविधियों की के लिए उपयोगी सामग्री का सृजन किया है। सभा जानकारी हेतु विगत 43 वर्षों से अनवरत् भगवान उनके द्वारा प्रदत्त सहयोग के लिए हार्दिक आभार प्रगट महावीर जयन्ती स्मारिका का प्रकाशन किया जा रहा करती है। है। इस वर्ष भी पावन जयन्ती के शुभ अवसर पर इस कार्य को सफल बनाने के लिए स्मारिका दिनांक 31 मार्च 2007 को स्मारिका का 44वाँ अंक के परामर्शदाता श्री ज्ञानचन्दजी बिल्टीवाला, संपादक आपके समक्ष प्रस्तुत कर हमें प्रसन्नता एवं गौरव का मण्डल के डॉ. जे. डी. जैन एवं श्री महेशजी चांदवाड़ ने अपनी उपयोगी सेवाएं प्रदान की हैं। हम उनके प्रति स्मारिका में भगवान महावीर के जीवन दर्शन, भी आभार प्रगट करते हैं। उनके उपदेशों की महत्ता, कविताएँ एवं अन्य सम- सभा ने स्मारिका के प्रबन्ध सम्पादक का गुरुतर सामयिक विषयों पर ऐतिहासिक सामग्री प्रस्तुत की भार श्री जयकुमारजी गोधा को सौंपा है। जिन्होंने गई है। जिससे स्मारिका की उपयोगिता अपने आप स्मारिका के लिए विज्ञापन जटाने एवं उसकी साजबन गई है। ज्ञातव्य रहे इस स्मारिका को संदर्भित सज्जा को नया रूप प्रदान करने में अपनी पारिवारिक ग्रन्थ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। स्मारिका में व्यस्तताओं के होते हए भी अथक परिश्रम किया है। आचार्यों, मुनिराजों के आशीर्वाद एवं राजनेताओं व जिससे स्मारिका का स्वरूप आकर्षक व भव्य बन समाज-सेवियों के संदेश प्राप्त हुए हैं, हम उनके प्रति सका है। उनके द्वारा किये गये प्रशंसनीय प्रयासों व अनुभव हो रहा है। महावीर जयन्ती स्मारिका 2007 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014025
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 2007
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year2007
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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