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________________ ATO SARA ८७ सत्यमेव जयते मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि राजस्थान जैन सभा, जयपुर की ओर से 31 मार्च, 2007 को महावीर जयन्ती स्मारिका के चव्वालीसवें अंक का प्रकाशन किया जा रहा है। भगवान महावीर ने अहिंसा को परम-धर्म के रूप में प्रतिष्ठापित किया था। सत्य, अहिंसा एवं अपरिग्रह जैसे उनके महान सिद्धान्तों से समूचे विश्व का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इन सिद्धान्तों का अनुशीलन कर मनुष्य अपना जीवन सार्थक कर सकता है। आवश्यकता इस बात की है कि प्रचार-प्रसार के माध्यमों से इन महाव्रतों को अधिकाधिक प्रचारित किया जाय। यह खुशी की बात है कि प्रकाशन में भगवान महावीर के सिद्धान्त, उनका जीवन, जैन संस्कृति एवं धर्म के इतिहास जैसी उपादेय सामग्री का समावेश किया जा रहा है। आशा है प्रकाशन जैन धर्म के अनुयायियों के साथ-साथ अन्य धर्मावलम्बियों के लिये भी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। ___ में प्रकाशन की सफलता के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ। - वसुन्धरा राजे मुख्य मंत्री, राजस्थान महावीर जयन्ती स्मारिका 2007 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014025
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 2007
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year2007
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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