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________________ 1-42 Jain Education International ॐ श्री वीर स्तवन 5 ॐ डा० वड़कुल डी. एल. जैन 'धवल' बरेली म.प्र. फ्र ******************❀❀❀❀❀❀ म्हारे मन मन्दिर में श्रान, पधारो महावीर भगवान || टेक ॥ हुआ था पाप तिमिर सब दूर, किया मिथ्यास तुम्ही ने चूर । तुम्ही तम दूर किया अज्ञान, मिटाई जग से हिंसा मन ।। १ ।। किया मन इन्द्रभूति का शुद्ध, कहाये गोतम-गणी प्रबुद्ध | प्रसारा विश्व अनन्ता ज्ञान, लिया बहु प्राणित शिवस्थान || २ || देखकर ज्योतिष फल श्रवरुद्ध, दर्श कर पुष्पक हुआ विशुद्ध । तजे सब पोथी पृष्ठ, म्लान, किया तप पाया मोक्ष-सोपान || ६ ॥ हुआ आश्चर्य अरण्य - विशाल, कालिया तड़पा दुख से व्याल | क्षमा कर दीना मन्त्र महान् मिला तब उसको स्वर्ग -विमान ॥ ४ ॥ करें प्रभु हम विनती कर जोर न पावें फिर से जीवन और । हो ऐसा 'धवल' श्रात्मा ज्ञान, करें अध पावें मुक्ति-निदान ।। ५ For Private & Personal Use Only महावीर जयन्ती स्मारिका 78 www.jainelibrary.org
SR No.014024
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1978
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1978
Total Pages300
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size7 MB
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