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________________ सम्मत्यर्थ सन्देश C मुख्य मंत्री राजस्थान जयपुर CHIEF MINISTER OF RAJASTHAN JAIPUR रम्यमत्रजपत क्र. 1148/C/M/O/G/78 १४ अप्रैल १९७८ मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि राजस्थान जैन सभा, जयपुर महावीर जयन्ती के अवसर पर एक स्मारिका का प्रकाशन कर रही है। मुझे बताया गया है कि इस स्मारिका में जैन दर्शन, इतिहास, संस्कृति और साहित्य पर अधिकारी विद्धानों के शोधपूर्ण लेखों का समावेश किया जाएगा। भगवान महावीर सामाजिक नैतिकता और धार्मिक सहिष्णुता के प्रादर्श को स्थापित करने वाले थे। उस आदर्श को व्याबहारिक रूप से ग्रहण करने में उनके अनुयायी अभी तक प्रांशिक रूप से ही सफल हुए हैं। उनके ये आदर्श न केवल जैन धर्म के मानने वालों के लिये थे बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिये थे। अाज देश के बदले हुए सन्दर्भ में उनके उपदेशों का महत्व और भी बढ़ गया है। मैं प्राशा करता हूं कि आपकी स्मारिका भगवान महावीर के सिद्धान्तों व आदर्श को आगे बढ़ाने में सफल होगी। मेरी शुभ कामनाएं श्रापका, श्री बाबूलाल सेठी, मंत्री राजस्थान जैन सभा, चाकसू का चौक, जौहरी बाजार, जयपुर (भैरोंसिंह शेखावत) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014024
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1978
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1978
Total Pages300
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size7 MB
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