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________________ सामने। लगा। उसे सुधीर की खोखली शान पर ग्लानि अच्छा हुमा, गरीबी में लड़कियां कैसे सम्हलती नहीं पाई मन में, बल्कि वह उसकी सूझबूझ पर महरी से। खुद के खाने-पहनने को कुछ नहीं है, काफी प्रसन्न हुई। पांच-पांच को क्या देती रहती ?' बातों का क्रम अभी समाप्त नहीं हुआ था, संध्या और सुधीर सहज ही मां का समर्थन इस बीव महरी की वही बच्ची मुंह लटकाये हए करने लगे थे। अनुभवियों का समर्थन करने वाले पाई और मौन तोड़े बगैर खड़ी हो गई उनके भी अनुभवी मान लिये जाते हैं न ? अगले सप्ताह महरी काम पर पाई तो तीनों 'क्या हुआ रधिया ? भूख लगी है क्या ?' । ने उसकी बच्ची की मृत्यु पर खेद प्रकट किया। महरी चुपचाप बर्तन मलने लगी। मां ने पूछा'नहीं।' 'कैसी थी री वह ?' महरी कुछ न बोली, उसके 'तो फिर मुंह क्यों लटका है तेरा ?' उत्तर की शायद आवश्यकता भी नहीं है मां को, सुधीर को या संध्या को। अतः मां ने अपनी ही बात राधिका सुबक-सुबक कर रोने लगी थी। फिर प्रांगे बढ़ाई-'हम लोगों ने तो उसके चौक पर्व पर बोली-'छोटी बैया मर गई ?' दस-बीस रुपये की बनियान देनी सोची थी, पर 'कौन ? जो अभी पैदा हुई थी?' क्या करें, तकदीर ही खराब थी।' ___ मां की भाषा किसी व्याकरण सिद्ध पुरुष की 'हां।' तरह थी। यह उनकी दृश्य-वीणा का घमंडवाला 'कैसे? तार था । “तकदीर ही खराब थी" का तात्पर्य उस बच्ची की तकदीर से था जो उनकी दान की 'सर्दी लग गई थी, रधिया वाक्य पूरा कर बनयान पहने बर्गर मर गई थी और दस-बीस रुपये प्रांसू पोंछ रही थी। के उच्चारण से वे उस मात्रा में जहां अपने भीतर ___ तीनों च च च करने लगी। तीनों बारी-बारी ___ की दया प्रगट कर देना चाह रही थी वहीं अपना अपनी सहयोग की भावना महरी से कह देने के . अहसान भी थोप देना चाहती थीं। मूड में जो थे। वे चाहते थे कि महरी पर उनकी महरी यह सब कुछ चुपचाप सुने जा रही एहसान-योजना का प्रारूप, मूल्य और समय जाहिर थी? शायद उसे यह भी ज्ञात नहीं था कि वह हो जाय । अनुभवशील-मां पहिले बोली-'चलो दुनिया के एहसान से दबते-दबते बच गई है। ३-8 महावीर जयन्ती स्मारिका 78 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014024
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1978
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1978
Total Pages300
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size7 MB
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