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________________ महता पर प्रकाश डालते हुये सभा को क्रियात्मक गये उपद्रवों के प्रति विरोध प्रकट करने हेतु ठोस कार्यों एवं संगठन द्वारा समाज का धार्मिक दिनांक 28 जनवरी, 78 को समस्त जैन समाज कर्तव्यों की अोर आकृष्ट करने का दायित्व पूर्ण की एक सभा आयोजित की गई जिसमें किये गये करने को कहा । इस अवसर पर भजन व कविता उपद्भवों की घोर भर्त्सना की गई एवं संबंधित आदि भी प्रस्तुत किये गये। व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही हेतु केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों से (8) जैन मेला निवेदन किया गया। दि. 18 दिसम्बर 77 को महावीर स्कूल सी-स्कीम के प्रांगण में एक 'जैन मेले का आयोजन अनौचित्यपूर्ण करारोपण का विरोध किया गया। इस अवसर पर कला प्रदर्शनी प्रायो __ ग्राम पंचायत श्री महावीरजी ने पंचायत के जित की गई जिसका उद्घाटन श्री तेजकरणजी आय के साधन बढ़ाने के नाम पर तीर्थ यात्री कर सा. डंडिया ने किया । समाज के सभी आयु के (50 पैसे प्रति यात्री) चुंगीकर व वाहन कर लगाने सदस्यों के लिये विभिन्न खेल कूद प्रतियोगिताओं के जो अनौचित्यपूर्ण निर्णय लिये हैं उसका विरोध का आयोजन किया गया । जिसका उद्घाटन श्री प्रकट किया गया एवं राज्य सरकार से निवेदन सुरेन्द्रकुमारजी जैन ने किया। इसमें प्रौढ़ महिलाओं किया गया कि वे इस संबंध में शीघ्र हस्तक्षेप एवं पुरुषों की संगीत-कुर्सी दौड़ एवं बच्चों की कर शीघ्र ही ग्राम पंचायत श्री महावीर जी को फैन्सी ड्रेस, शो का कार्यक्रम विशेष प्राकर्षण रहे। बाध्य करें कि वे करारोपण संबंधी प्रादेश विजेताओं को श्री सुमेरकुमार जैन द्वारा पुरस्कार वापिस लें। वितरण किये गये । इस अवसर पर बाढ़ पीडितों के सहायतार्थ नवरंग बाल विद्यालय के सहयोग से (ब) साहित्य प्रसार:बूट पालिस का भी प्रायोजन रखा गया । सबसे स्व. पं० चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ की प्रेरणा से वयोवृद्ध श्री चिरंजीलालजी सा. वैद को शाल सभा ने 1962 से भगवान महावीर की पावन भेंट कर उनका अभिनन्दन किया गया । इस जयन्ती के अवसर पर एक स्मारिका का प्रकाशन अवसर पर समाज की विभिन्न सहयोगी संस्थाओं प्रारम्भ किया और वह सभा का एक नियमित ने अपनी अपनी स्टालों पर लागत मूल्य पर पेय व प्रकाशन बन गया। इसमें जैन दर्शन, इतिहास, भोज्य सामग्री उपलब्ध करायी। लाटरी द्वारा निति और साहित्य पर प्रधिकत विद्वानों के महाराजा, महारानी व राजकुमार-राजकुमारी का मवेषणापूर्ण लेख व कविताएं रहती हैं प्रारम्भ भी चयन किया गया। शाम को सभी ने अपने-अपने में स्मारिका का सम्पादन पूज्य पंडित साहब ने मिठाई रहित भोजन से सहभोज किया । स्वयं किया और पं० जी के स्वर्गवास के पश्चात् (9) जैन मुनियों पर किये गये उपद्रवों की तीव्र इस गुरुतर कार्य का दायित्व श्री भंवरलालजी भर्त्सना: पोल्याका द्वारा उठाया जा रहा है। दि. 3 व 4 जनवरी 78 को तिरुची में इसके अतिरिक्त समय-समय पर लघु पुस्तकों असामाजिक तत्वों द्वारा प्राचार्य श्री निर्मलसागरजी के प्रकाशन का कार्य भी सभा ने किया जिसमें 108 एवं उनके संघ पर असामाजिक तत्वों द्वारा किये मुनि श्री विद्यानन्दजी एवं डा० हुक्मचंदजी भारिल्ल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014024
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1978
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1978
Total Pages300
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size7 MB
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