SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अस्वस्थ होते हुए भी इस वर्ष भी इन्होंने हमारे अनुरोध को स्वीकार किया एवं काफी अल्प समय में दिन रात परिश्रम कर इस कार्य के सम्पादन में जिस कर्तव्यनिष्ठा और लगन का परिचय दिया है उसके लिये मेरे पास श्री पोल्याकाजी का आभार प्रकट करने हेतु शब्द नहीं मिल रहे हैं। मापके सम्पादकीय लेख एवं लेखों पर टिप्पणियाँ आपकी विद्वत्ता, निस्पक्षता एवं निडरता की द्योतक हैं जो आप स्वयं को ज्ञात हो जायगा । इसके अतिरिक्त वे लेखकगण एवं कवि भी हमारे अत्यधिक साधुवाद के पात्र हैं जिन्होंने अपनी रचनायें स्मारिका में प्रकाशनार्थ भेजीं । स्थानाभाव से कुछ रचनायें स्मारिका में स्थान नहीं पा सकीं इसके लिये हम क्षमा प्रार्थी है। आर्थिक सहयोग के बिना किसी भी प्रकार का प्रकाशन कार्य संभव नहीं है। स्मारिका की अर्थ व्यवस्था सभा द्वारा विज्ञापन के माध्यम से ही की जाती है एतदर्थ एक प्रबन्ध समिति का गटन किया गया जिसके संयोजन का दायित्व श्री सुमेरकुमारजी जैन पर डाला गया। इस वर्ष इस कार्य में श्री जैन के अतिरिक्त सर्व श्री राजकुमारजी काला, देवेन्द्रराजजी मेहता, देशभूषणजी सौगाणी, ज्ञानचन्दजी जैन, मुन्नीलालजी जैन, कैलाशचन्दजी वैद, विद्याविजय काला, कपूरचन्दजी पाटनी, भागचन्दजी छाबड़ा, प्रकाशचन्दजी ठोलिया आदि ने जो सहयोग दिया उसे भुलाया नहीं जा सकता। अर्थ संग्रह हेतु जो सहयोग सर्वश्री देवकुमारजी शाह, कैलाशचन्दजी सौगानी, कैलाशचन्दजी गोधा, सुरज्ञानीचंदजी लुहाड़िया, ताराचन्दजी साह, विनयकुमारजी पापड़ीवाल, लल्लूलालजी जैन, भागचंदजी छाबड़ा, राजेन्द्रकुमारजी बिल्टीवाला, ज्ञानचंदजी जैन, प्रादि ने जो अथक परिश्रम करके दिया उनके प्रति आभार प्रकट किये बिना भी नहीं रह सकता । विज्ञापन दाताओं के अनुदान का ही यह फल है कि लागत से भी अत्यन्त अल्प मूल्य पर स्मारिकां पाठकों के हाथों में पहुंचती है। यह पुण्य कार्य विज्ञापन दातानों के सहयोग के बिना संभव नहीं है। इस वर्ष जिन संस्थानों ने अपने विज्ञापन प्रदान कर हमें सहयोग प्रदान किया है उनका हम हदय से आभार मानते हैं तथा भविष्य में भी उनसे इसी प्रकार के सहयोग की आशा करते हैं। ___ स्मारिका का प्रस्तुत अंक कैसा है यह निर्णय करना पाठकों का कार्य है। पाठकों से हमारा अनुरोध है कि इसमें रहने वाली त्रुटियों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते रहें जिससे कि तदनुरूप उनमें सुधार होता रहे । इस वर्ष की स्मारिका पर आपका अभिमत साग्रह आमंत्रित है । स्मारिका का मुद्रण कार्य मूनलाइट प्रिंटर्स ने किया। मुद्रण की अवधि में आने वाले कई व्यवधानों के बावजूद स्मारिका का समय पर प्रकाशित होना उनके अथक परिश्रम एवं सहयोग के बिना संभव नहीं था। इस हेतु संस्थान के मालिक श्री महावीरप्रसादजी जैन तथा उनके सभी सहयोगी धन्यवाद के पात्र हैं। • बाबूलाल सेठी मंत्री राजस्थान जैन सभा, जयपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014024
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1978
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1978
Total Pages300
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy