SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 204
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ का राज्य-फरमान दिया और जब वह विशाल बड़ा आदर सत्कार करते थे। राज्य टकसाल का संघ यात्रा से वापस लौटा तो कुतुबुद्दीन ने अधिकारी भी जैन था ।15 जिस के प्रभाव से अलाइनका बड़ा आदर-सम्मान किया । नासिरुद्दीन उद्दीन ने 32 राज्य फरमानों द्वारा जैनधर्म की (1246-1266 ई०) के राज्यकाल में जैनाचार्य प्रभावना की।16 राजाज्ञा द्वारा अलाउद्दीन ने जैन पदमदेव की भविष्यवाणी से कि अगले 3 सालों में मुनियों को अनेक प्रकार की सुविधा दी और जैन भारत में अत्यन्त भयानक अकाल पड़ने वाला है, तीर्थ स्थानों पर जीव हत्या न करने के आदेश कच्छ देश के जैन सेठ जगडु शाह ने जनता के हित जारी किए 117 इन फरमानों की प्रतिलिपियां आज के लिए इतना अधिक अनाज करोड़ों रुपयों का भी नागोद और कोहलापुर के भट्टारकों के पास खरीदा कि समस्त भारत के 215 नगरों में बड़ी सुरक्षित है ।18 मेवाड़ के महाराणा हमीरसिंह जैन विशाल भोजन शालाएं खुलवाई जहां से प्रतिदिन 5 धर्म अपनाते थे । वे इतने योद्धा और वीर थे कि लाख व्यक्तियों को बिना जांत-पांत के भेद के विना अलाउद्दीन को उनके देश पर उन के जीवन काल मूल्य भोजन मिलता था । गुजरात, सिन्ध, मिवाड़, में आक्रमण करने की हिम्मत न पड़ सकी और कन्धार, मालवा, काशी आदि देशों के राजाओं को उनसे मित्रता कर ली। ही नहीं बल्कि दिल्ली के सम्राट् नासिरुद्दीन को 62 लाख 10 हजार मन अनाज दिया । वह उसका 4. तुगलक वंश के गयासुद्दीन तुगलक (1320मूल्य देने लगा तो इन्कार कर दिया। वलबन 1325 ई०) पर जैन सेठ हरू के पुत्र राय पति (1266-1290 ई०) के दो राज्य मन्त्री जैन थे। का जो एक उत्तम श्रावक व्रति जैन था, बड़ा जिनके नाम सुर और वीर थे। इस के राज्य-काल प्रभाव था, जिनको गयासुद्दीन ने समस्त भारत के में अनेक तीर्थकरों की मूर्तियां प्रतिष्ठित और जैन तीर्थों की ससंघ यात्रा का ही फरमान नहीं दिया मन्दिरों में बड़ी धूम-धाम से स्थापित हुई। बल्कि प्रान्त राज्यों को भी आदेश दिया कि जहां जहां जैन संघ जावे इनको पूरा सहयोग दिया जावे 3. खिलजी वंश का सुप्रसिद्ध सम्राट अला- और इस बात का ध्यान रखा जावे कि उनके संघ उद्दीन खिलजी (1296-1316 ई०) जैन साधुनों की यात्रा में किसी प्रकार का भंग न पड़ने पावे। के आचरण और ज्ञान से बड़ा प्रभावित था। गयासुद्दीन ने जैन भट्टारक मल्लिभूषण का अपनी दिगम्बर जैन आचार्य महासेन की सुप्रसिद्धि सुनकर राज्य - सभा में बुला कर बड़ा आदर सम्मान उसने उन्हें अपनी राज्य-सभा में बुलाया। उनके किया । मोहम्मद तुगलक (1325-1351 ई०) ज्ञान और आचरण से प्रभावित होकर अपना ने जैन प्राचार्य सिंह कीर्ति को अपनी राज्य सभा मस्तक नग्न प्राचार्य महासेन के चरणों में झुकाया। में बुलाकर बड़ा सम्मानित किया था। इन्होंने अलाउद्दीन ने श्वेताम्बर जैनाचार्य रामचन्द्र का भी उस की राज्य सभा में बौद्ध आदि अनेक धर्मों के बड़ा सम्मान किया ।10 सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी विद्वानों पर वाद में विजय प्राप्त की थी । डा. ने दिगम्बर आचार्य ध्रत वीर स्वामी के भी दर्शन वासुदेव शरण अग्रवाल के अनुसार मोहम्मद तुगलक किए 11 अलाउद्दीन की राज्य-सभा में राघो चेतन के ने जैनियों को न केवल तीर्थों की यात्राओं बल्कि साथ नग्न प्राचार्य महासेन का वाद हुवा ।' अला- जैन नये मन्दिरों के23 बनवाने और प्राचीन उद्दीन के खजाञ्ची और रत्नपरीक्षक ठाकुर और मन्दिरों के जीर्णोद्धार की सहुलियतें दी। जैनाचार्य फेरू जैन अणुव्रती श्रावक थे ।1 अलाउद्दीन का नगर जिनप्रभ सूरि का सुल्तान पर बड़ा प्रभाव था । सेठ पूर्ण चन्द भी जैन धर्मी था जिसका सुल्तान इन्होंने अपना सुप्रसिद्ध इतिहास “विविध तीर्थ 2.90 महावीर जयन्ती स्मारिका 78 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014024
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1978
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1978
Total Pages300
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy