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________________ .kkk. पुराणों में सज्जन और दुर्जन, भले और बुरे, धार्मिक तथा पापी दोनों प्रकार के मनुष्यों के जीवन-वृत्त का चित्रण करने का उद्देश्य अच्छे और बुरे कार्यों का अच्छा बुरा फल बताना होता है। पशु यज्ञ, मांस भक्षण आदि सदाचार तथा धर्म विरुद्ध कार्यों का भी उनमें प्रसंगानुसार वर्णन पाता है किन्तु उनका पुराणों में वर्णन होने मात्र से ही ऐसे कार्य विहित कोटि में नहीं पाते। इस तथ्य को समझ कर ही पुराणों का स्वाध्याय करना चाहिये। हरिवंश पुराणकार जिनसेन पुन्नाट संघ के प्राचार्य थे और प्रादिपुराण के कर्ता जिनसेन से भिन्न थे किन्तु दोनों ही समसामयिक थे। हरिवंश पुराण की रचना शकसंवत् 705 में समाप्त हुई है। हरिवंश पुराण का महत्व इस दृष्टि से बहुत है कि उसमें वीर निर्वाण के बाद से वि० सं० 840 तक की अविच्छिन्न गुरु-परम्परा सुरक्षित है जो अन्य किसी भी पुराण अथवा ग्रंथ | में आज तक देखने में नहीं पाई। -पोल्याका "जैन" हरिवंशपुराण कालीन भारत की सांस्कृतिक झलक डा० प्रेमचन्द जैन, एम.ए., पीएच. डी., जैनदर्शनाचार्य, जनदर्शन विभाग, राजस्थान वि.वि., जयपुर प्रत्येक युग का सच्चा साहित्यकार, कवि या मनमाने रंग भर-भरकर नये-नये चित्र बनाती है। महाकवि स्वयं अपने समय की भौगोलिक, सामा- उसका जागरूक यत्न रहता है कि वह पाठक को जिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक परिस्थितियों के वर्तमान से उठाकर उसके मानस को अपने वर्ण परिप्रेक्ष्य में एवं पृष्ठभूमि के पट पर ही अपने काल के स्तर पर ले जाये और इस यल में उसे वर्ण्यविषय के काल की अमूक स्थिति के चित्र की जितनी सफलता मिलती है, वही उसके साहित्यिक रेखाए अकित करता है । चाहे वह किसी भी काल साफल्य का मापदण्ड बनती है। पर सम-सामयिक की स्थितियों का वर्णन करे, परन्तु उसके अनुमान युग की स्थितियों का सही सही चित्रण भी उसके का प्राधार तो उसका वर्तमान ही होता है । इसी साफल्य की उतनी ही महत्वपूर्ण कसौटी है जितनी वर्तमान के पट पर उसकी कल्पना-रूपी तूलिका कथा-वस्तुगत वर्ण्य काल के चित्रण की। इस दृष्टि महावीर जयन्ती स्मारिका 78 2-73 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014024
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1978
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1978
Total Pages300
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size7 MB
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