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________________ समाज में सगाई एवं विवाह प्रादि के अवसर पर दहेज की मांग, ठहराव प्रादि को सदैव बुरी राष्टि से देखती रही हैं और इन बुराइधों को दूर करने में सदैव प्रयत्नशील है। सभा की प्रार्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं है इस कारण चाहते हुये भी सभा अपने लक्ष्यों को पूर्ण करने में असमर्थ रही है। सभा द्वारा सम्पन्न किये जाने वाले विभिन्न प्रायोजनों व कार्यक्रमों में जहां कार्यकारिणी समिति के सभी सदस्यों का सक्रिय सहयोग रहा है वहां सर्वश्री हीराचन्द वैद, तिलकराज जैन, निहालचंद जैन, राजरूप टांक, हीराभाई एम० चौधरी, पं० मिलापचन्दजी शास्त्री, केवलचन्दजी ठोलिया, जसवन्तसिंह सांघी, डा० हुकमचन्द भारिल्ल, पन्नालाल बांठिया, मूलचन्द पाटनी, रमेशचन्द पापडीवाल, प्रकाशचन्द जैन, तेजकरण डंडिया, माणिक्यचन्द जैन, सूरजमल वैद, नवीनकुमार बज, सौभाग्यमल रांवका, डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल, विनयकुमार पापडीवाल, देशभूषण सौगाणी, रामचरण जैन, अशोक लुहाडिया, देवकुमार साह, कैलाशचन्द सौगानी, बलभद्र जैन आदि के सहयोग को भी भुलाया नहीं जा सकता । श्री वीर सेवक मण्डल और अन्य सभी शिक्षण संस्थानों, भजन मण्डलियों आदि का भी सभी कार्यक्रमों में पूर्ण रचनात्मक सहयोग रहा है । सभा सभी व्यक्तियों एवं संस्थानों के प्रति अाभार प्रकट करती है । समाज के प्रत्येक सदस्य से सभा को तन, मन एवं धन द्वारा सहयोग एवं सुझाव की अपेक्षा के नम्र निवेदन के साथ बाबूलाल सेठी मन्त्री राजस्थान जैन सभा जयपुर न श्वेताम्बरत्वे न दिगम्बरत्वे न तर्कवादे न च तत्त्ववादे । न पक्षसेवाऽऽश्रयणेग मुक्तिः कषायमुक्तिः किल मुक्तिरेव ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014023
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1977
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1977
Total Pages326
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size25 MB
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