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________________ भगवान महावीर के विवाह के सम्बन्ध में भी तीथंकर की माता के 14 स्वप्न, भरत चक्रवर्ती श्वेताम्बर सम्प्रदाय में दोनों मान्यतायें हैं। कल्प- की 64 हजार रानियां प्रादि उल्लेख प्राचार्य सूत्र व आवश्यक भाष्य इन्हें विवाहित मानते हैं विमलसूरि के श्वेताम्बर होने का समर्थन करते हैं। दूसरी अोर समवायांग स्थानांग व आवश्यक निश्चित ही विमलसूरि एक श्वेताम्बराचार्य हैं, नियुक्ति में इनके अविवाहित रहने की मान्यता है। उनका नाइकुलवंश, स्वयंभु द्वारा स्मरण न किया ___ केवलज्ञान प्राप्ति के उपरान्त भगवान महावीर जाना तथा उनके श्वेताम्बर साधु का प्रादरपूर्वक का भव्यों को प्रतिबोधित करते हुये विपुलाचल उल्लेख उनके यापनीय न होने के प्रबल पर प्रागमन, तीर्थङ्करत्व-प्राप्ति के 20 कारण, प्रमाण है। 1. पउमचरिय भाग 1 : Introduction. Dr. V. M. Kulkarni : Page 18-22, 2. (पद्मचरित और पउमचरिय) जैन साहित्य का इतिहास : श्री नाथूरामजी प्रेमी पृ० 98 3. परमचरिय 118, 117, 118 4. पउमचरिय भाग 1 : Introduction, Vimalsuri's life. 5. नन्दिसूत्र : गाथा 38 6. पउमचरिय 22/78-79 7. पउमचरिय 83/12 8. पउमचरिय : Introduction : Dr. V. M. Kulkarni P. 22 9. प्रावश्यक चूरिण : भाग 1 पृ० 332 10. मावश्यक चूणि ; भाग | पृ० 333 महावीर जयन्ती स्मारिका 2-57 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014023
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1977
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1977
Total Pages326
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size25 MB
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