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________________ गांधी : अहिंसा का व्यवहार पक्ष श्री वीरेन्द्रप्रताप सिंह महात्मागांधी ने जिस अहिंसा का व्यापक प्रचार किया, वह अन्य सम्प्रदायों एवं व्यक्तियों की अहिंसा से अधिक व्यापक और व्यावहारिक है। यद्यपि अहिंसा का सिद्धान्त गांधी जी का कोई नया सिद्धान्त नहीं है। भारत तथा विश्व के अनेक देशों के लोगों ने अहिंसा के पालन पर जोर दिया है। अहिंसा के महान शिक्षकों और आदर्श उदाहरणों-पाव, महावीर, बुद्ध, जीससक्राइस्ट, पाल आफ टारसस, पट र वाल्डो, विलियम पेन, थोरो, टॉल्स्टाय आदि में अहिंसा की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। सन्तों और पैगम्बरों के नामों में महात्मा गांधी का नाम बड़े ही साहस और धैर्य के साथ सम्मिलित करते हैं। उन्होंने हिंसा को अहिंसा के माध्यम से समाप्त करने की वीणा बजाई थी। उनका कहना था कि अहिंसा की शक्ति से ही हिंसक प्रवृत्तियों को सम्मार्ग पर लाया जा सकता है, क्योंकि यदि हिंसा से ऐसा सम्भव' होता तो समाज की बुराइयों को दूर करने की दिशा में हमारी उन्नति एक हमेशा ऊँचे उठते हुए हिंसा के पैमाने के साथ-साथ होती और कम हिंसा का इलाज करने के लिये अधिक हिंसा की आवश्यकता होती। ____ महात्मागांधी की अहिंसा के विकास की कल्पना का आधार आदर्श और यथार्थ दोनों है। महात्मा गांधी स्वयं को व्यावहारिक आदर्शवादी' कहते थे। इसीलिये अन्य लोगों की अपेक्षा उनकी अहिंसा की कल्पना कुछ अधिक नमनीय है। वे जैनियों आदि की तरह अहिंसा के कठोरतावाद से अनावश्यक रूप से ग्रसित नहीं हैं । जैन दार्शनिकों ने अहिंसा की कठोर व्याख्या की है जो कि सभी मनुष्यों के लिए, सभी परिस्थितियों में ग्राह्य नहीं है। उनके अनुसार सभी परिस्थितियों में प्राणियों के लिये मनसा, वाचा, कर्मणा हिंसा का वर्जन है। इसीलिये जैन भिक्षुओं के किये गये फल-मूल जैसे निरामिष भोज्य पदार्थों का आहार ही निर्धारित किया गया है। इतनी कठिन अहिंसा की व्याख्या करने के बाद भी परिग्रह, जो कि गांधी के विचार में हिंसा है, को आज भी अपने अन्तःकरण में अपनाये हुए हैं । उसको १. यंग इण्डिया, ११-८-१९२० परिसंवाद-३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014014
Book TitleBharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadheshyamdhar Dvivedi
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1983
Total Pages366
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size21 MB
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