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________________ जैनधर्म एवं छोटानागपुर 51 नग्न प्रतिमाएँ देखी जा सकती हैं, जो सम्भवत: २४ तीर्थंकरों की हैं। ये तीन के समूह में चार कतार में प्रधान प्रतिमा के दोनों तरफ अंकित हैं। इनके नीचे सम्भवत: अष्टग्रहों का अंकन है। प्रतिमा के ऊपरी भाग में गन्धर्व देखे जा सकते हैं। प्रधान प्रतिमा के छत्र के अगल-बगल दो आकृतियाँ थीं, जो अब नष्ट हो चुकी हैं। ये सभी प्रतिमाएँ ११वीं-१२वीं शती ई. की हैं। ___ दालभूम से ही हमें एक चौमुख भी प्राप्त हुआ है, जो राँची संग्रहालय में संगृहीत है। समय के थपेड़ों ने इस मूर्ति को काफी खराब कर दिया है, अतः इसके चारों तरफ अंकित तीर्थंकरों की पहचान करना सम्भव नहीं है। इस शोधपत्र को संक्षिप्त रूप में समाप्त करने के क्रम में मैं राखालदास बनर्जी को उद्धृत करना चाहूँगा। उनके अनुसार जैन प्रतिमाएँ बंगाल में दुर्लभ हैं, परन्तु बिहार के छोटानागपुर प्रमण्डल एवं उड़ीसा में सर्वत्र यह काफी संख्या में पाई जाती है। पिछले पच्चीस वर्षों में मुझे छोटानागपुर के राँची, मानभूम एवं सिंहभूम जिले के अनेक महत्त्वपूर्ण स्थलों का भ्रमण करने का अवसर मिला। परन्तु खेद है कि इस क्षेत्र के पुरावशेषों को अभी तक ठीक से वर्णित नहीं किया गया है। इन जिलों में, जो अपने कोयला-उद्योग के कारण बड़ी संख्या में लोगों की सम्पन्नता के साधन हैं, अनेक मन्दिर हैं और हजारों मूर्तियाँ इस क्षेत्र में बिखरी पड़ी हैं। इस प्रकार के मन्दिरक्षेत्र बराकर और धनबाद से प्रारम्भ होते हैं और रीवाँ राज्य के जंगल एवं उड़ीसा राज्य में जाकर समाप्त होते हैं। इन स्थानों से यह स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र में कभी काफी विशाल जनसंख्या निवास करती थी, जो जैन धर्म की अनुयायी थी; क्योंकि इन सभी स्थानों में जैन मूर्तियों की बहुतायत है और ब्राह्मण-मन्दिर एवं मूर्तियों की संख्या कम। बनर्जी महोदय के विचार में ये मूर्तियाँ मध्ययुग के तीसरे-चौथे वर्ष, अर्थात् ११वीं-१२वीं शती ई. की हैं। सन्दर्भ-स्रोत : १. पी.सी. राय चौधुरी : Jainism in Bihar, पृ. ४. २. डी. आर. पाटिल : Antiquarian Remains of Bihar, पृ. ३६५. ३. ए. स्टेन : Indian Archaeology, xxx, पृष्ठ ९०-९५, बी.पी. मजूमदार The Comprehensive History of Bihar,भा., खंड-१. पृ. १४४. ४. डी. आर. पाटिल : वही, पृ. २१८. ५. उपरिवत्, पृ. २१९. ६. पी. सी. रायचौधुरी : वही, पृ. ४४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014012
Book TitleProceedings and papers of National Seminar on Jainology
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugalkishor Mishra
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1992
Total Pages286
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size16 MB
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