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________________ जैन पुरातत्त्व-सन्दर्भित विदेह और मिथिला डॉ. प्रफुल्ल कुमार सिंह 'मौन' बिहार को जैन तीर्थकरों की जन्म, तपःसाधना, धर्मोपदेश, वर्षावास, संगीति एवं निर्वाण-भूमि होने का सौभाग्य प्राप्त है। इन तीर्थंकरों में प्रथम ऋषभनाथ (आदिनाथ) थे। अन्तिम चौबीसवें तीर्थंकर वर्धमान महावीर वैशाली की विभूति थे। बिहार छह तीर्थंकरों की जन्मभूमि है। बारहवें तीर्थंकर वासुपूज्य का जन्म चम्पापुरी (अंग), उन्नीसवें मल्लिनाथ और इक्कीसवें नेमिनाथ का मिथिलापुरी (विदेह), बीसवें मुनि सुव्रतनाथ का राजगृह और चौबीसवें महावीर का जन्म वैशाली में हुआ था। जैन मान्यता के अनुसार शीतलनाथ का जन्म भद्दिलपुर में हुआ था, जो आज हजारीबाग-परिक्षेत्र में पड़ता है। बाईस तीर्थंकरों ने गिरिडीह-परिक्षेत्र के सम्मेद शिखर, अर्थात् पारसनाथ की पहाड़ी पर, और वासुपूज्य ने चम्पापुरी तथा महावीर ने पावापुरी में निर्वाण प्राप्त किया था। चौबीस तीर्थंकरों में पार्श्वनाथ (८४०-७४० ई. पू) तथा महावीर (५६१-४९० ई. पू.) की अवस्थिति को ऐतिहासिक आधार प्राप्त है । इतिहास की मान्य परम्परा के अनुसार वर्धमान महावीर (५६१-४९० ई.पू.) और गौतम बुद्ध (५७७-४८७ ई. पू) समकालीन थे। पार्श्वनाथ के मतानुयायी महावीर का जन्म वैशाली के समीपस्थ क्षत्रिय कुण्डपुर या कुण्डग्राम में हुआ था। पिता सिद्धार्थ कुण्डपुर-नायक ज्ञातृवंशीय तथा माता त्रिशला विदेहदत्ता (वैशाली के गण प्रमुख चेटक की बहन) के नाम से प्रख्यात थी। 'कल्पसूत्र' तथा 'आचारांगसूत्र' में वर्धमान महावीर को 'विदेह', 'विदेहदत्त', 'विदेहाजात्य' और 'विदेहसुकुमार' कहा गया है। पूज्यपाद-रचित 'देशभक्ति' (५वीं सदी), जिनसेन-कृत 'हरिवंशपुराण' (८वीं सदी), गुणभद्ररचित 'उत्तरपुराण' (९वीं सदी), दामनन्दि-कृत ‘पुराणसंग्रह' (हस्तलिपि), सकलकीर्त्ति-कृत 'वीरवर्द्धमानचरित' (१५वीं सदी) आदि में महावीर की जन्मभूमि कुण्डपुर अथवा कुण्डग्राम (वैदेहकुण्डपुरे-पूज्यपाद) को विदेह विषय के अन्तर्गत (विदेहाख्ये विषये, विदेहविषये—गुणभद्र) माना है, जो भारतवर्ष में महाऋद्धि-सम्पन्न जनपद (अस्मिन् भारतवर्षे विदेहेषु महर्द्धिषु-दामनन्दि) प्रमुख सद्धर्मों की लीलाभूमि होने के कारण (सद्धर्मसङ्घाद्यैः विदेह इव राजते-सकलकीर्ति) विख्यात था। ऐतिहासिक दृष्टि से बुद्ध और महावीर के समय में वैशाली वज्जी या विदेह-संघ की राजधानी थी। __* आम्रपाली मार्ग, महनार (वैशाली) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014012
Book TitleProceedings and papers of National Seminar on Jainology
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugalkishor Mishra
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1992
Total Pages286
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size16 MB
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