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________________ 100 Vaishali Institute Research Bulletin No. 8 जटासिंहनन्दी का 'वरांगचरित' कुन्दकुन्द की दिगम्बर-परम्परा का ग्रन्थ नहीं हो सकता, जो स्त्रियों की दीक्षा निषेध करती हो या उनके उपचार से ही महाव्रत कहे गये हैं, ऐसा मानती हो । कुन्दकुन्द ने सूत्रप्राभृत गाथाक्रमांक २५ में एवं लिङ्गप्राभृत गाथाक्रमांक २० में स्त्रीदीक्षा का स्पष्ट निषेध किया है, यह हम पूर्व में दिखा चुके हैं । (१२) 'वरांगचरित' में श्रमणों और आर्यिकाओं को वस्त्रदान की चर्चा है। यह तथ्य दिगम्बर-परम्परा के विपरीत है। उसमें लिखा है कि “वह नृपति मुनिपुंगवों को आहारदान, श्रमणों और आर्यिकाओं को वस्त्र और अन्नदान तथा दरिद्रों को याचित दान (किमिच्छदान) देकर कृतार्थ हुआ।"४१ यहाँ प्रश्न उपस्थित होता है कि मूल श्लोक में जहाँ मुनिपुंगवों के लिए आहारदान का उल्लेख किया गया है, वहाँ श्रमण और आर्यिकाओं के लिए वस्त्र और अन्न (आहार) के दान का प्रयोग हुआ है। सम्भवतः, यहाँ अचेल मुनियों के लिए ही ‘मुनिपुंगव' शब्द का प्रयोग हुआ है और सचेल मुनि के लिए 'श्रमण' । 'भगवती आराधना' एवं उसकी अपराजित की टीका से यह स्पष्ट है कि यापनीय परम्परा में अपवाद-मार्ग में मुनि के लिए वस्त्र-पात्र ग्रहण करने का निर्देश है।४२ वस्त्रादि के सन्दर्भ में उपर्युक्त सभी तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए यह कहा जा सकता है कि जटासिंहनन्दी और उनका ‘वरांगचरित' भी यापनीय/कूर्चक-परम्परा से सम्बद्ध रहा है। सन्दर्भ-स्रोत : १. यापनीय और उनका साहित्य : डॉ. कुसुम पटोरिया, पृ. १५७-१५८ २. वराङ्गनेय सर्वाङ्गैर्वराङ्गचरितार्थवाक् । कस्य नोत्पादयेद्गाढमनुरागं स्वगोचरम् ।। -हरिवंशपुराण (जिनसेन), १.३४-३५ ३. काव्यानुचिन्तने यस्य जटाः प्रचलवृत्तयः अर्थान्स्मानुवदन्तीव जटाचार्यः स नोऽवतात् ।। -आदिपुराण (जिनसेन), १.५० ४. जेहिं कए रमणिज्जे वरंग-पउमाण चरियवित्थारे । कह वण सलाहणिज्जे ते कइणो जडिय-रविसेणो ॥ -कुवलयमाला ५. ऐदने य श्रोतृ वबों जटासिंहनन्द्याचार्यर वृत्तं - उद्धृत वरांगचरित, भूमिका पृ. ११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014012
Book TitleProceedings and papers of National Seminar on Jainology
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugalkishor Mishra
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1992
Total Pages286
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size16 MB
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