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________________ अनेकान्तवाद एवं आधुनिक भौतिक विज्ञान डॉ० पारसमल अग्रवाल लोहे की एक छोटी सी कील पानी में नहीं तैरती है किन्तु लोहे का विशाल जहाज पानी में तैरता है, भौतिक विज्ञान के इस तथ्य को हम अच्छी तरह जानते हैं एवं समझते हैं। कील का डूबना एवं जहाज का तैरना ये दोनों ऐसी परस्पर विरोधी बातें ऐसी हैं जिसे हमारी साधारण विवेक बुद्धि या साधारण तर्क शक्ति स्वीकार नहीं करती है। किन्तु विज्ञान जब सचमुच प्रयोग द्वारा यह दिखाता है तो हमें हमारी विवेक बुद्धि एवं तर्क शक्ति को इसे मानना होता है कि हम इन परस्पर विरोधी बातों को एक सत्य स्वीकार कर लें। सच पूछा जाये तो ज्यों-ज्यों विज्ञान का विकास होता गया त्यों-त्यों ऐसी स्थितियां और अधिक बनती गईं जहां दो या दो से अधिक परस्पर विरोधी बातें एक साथ सत्य प्रतीत होती हैं। क्वान्टम सिद्धान्त में ऐसे विरोधाभासों की बहत प्रचूरता है। क्वान्टम सिद्धान्त भौतिक विज्ञान का ही नहीं अपितु आधुनिक ज्ञान विज्ञान का सर्वोच्च शिखर समझा जाता है। परस्पर विरोधी कथनों के एक साथ सत्यरूप में लगने के कारण क्वाण्टम सिद्धान्त को समझना एवं पचाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। क्वाण्टम सिद्धान्त की रग-रग में न केवल परस्पर विरोधी प्रतीत होने वाले कथनों की स्वीकृति दिखाई देती है अपितु सूक्ष्म कणों के वर्णन में क्वाण्टम सिद्धान्त यह कहने में भी हिचक नहीं करता है कि प्रकृति के कई रहस्यों को क्वाण्टम सिद्धान्त के समीकरणों से समझा तो जा सकता है किन्तु उन्हें शब्दों या भाषा द्वारा नहीं कहा जा सकता है। आचार्य कुन्दकुन्द ने पंचास्तिकाय की १४ वीं गाथा में स्याद्वाद के सातभंग लिपिबद्ध किये हैं। सात भंगों का सरल भाषा में अर्थ है- सात प्रकार से कथन। इन सात प्रकारों में चार प्रकार ऐसे हैं जहां पदार्थ को किसी अपेक्षा से अकथनीय या अवर्णनीय यानी 'अवक्तव्य' स्वीकारा गया है। क्वाण्टम सिद्धान्त के पूर्व १९वीं शताब्दी में वैज्ञानिकों को यह मानने की आवश्यकता नहीं हुई कि पदार्थ अवर्णनीय या अकथनीय भी है किन्तु क्वाण्टम सिद्धान्त के आने से एक विशेष बात यह हुई कि अकथनीयता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014009
Book TitleMultidimensional Application of Anekantavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Shreeprakash Pandey, Bhagchandra Jain Bhaskar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages552
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size9 MB
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