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________________ 432 Multi-dimensional Application of Anekāntavāda प्रभाव, रिश्वतखोरी और पैसों का जोर इस क्षेत्र में भी अपना प्रभाव दिखा रहा है। आज तो जिस के पक्ष में पैसा या राजकीय आश्रय है उसी की तरफदारी में फैसला मिल जाता है। यदि एक व्यक्ति या पक्ष दूसरे व्यक्ति या पक्ष के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू करने से पूर्व सामने वालों को समझने का दृष्टिबिन्दु थोड़ा-भी अपनाएं तो कार्य बहुत आसान हो जाता है। भाषा के क्षेत्र में इस क्षेत्र में अनेकान्तवाद की विचारधारा काफी महत्त्वपूर्ण है। 'स्यात्' (शायद) शब्द से भाषा की गहराई और उसके अर्थ की स्पष्टता पर काफी जोर दिया गया है। कथन को, वक्तव्य को विभिन्न कोणों से, विचार बिन्दुओं से परखकर प्रस्तुत करने का अभिगम अनेकान्तवादी विचारधारा का है, जो भाषा की गहराई एवं प्रस्तुतिकरण की स्पष्टता के लिए अत्यन्त आवश्यक है। एकान्तवादी पद्धति से कभी भी भाषा का, साहित्य का, व्याकरण के विभिन्न भेदों-प्रभेदों का विवेचन या प्रत्यक्ष बोध आत्मसात नहीं कर सकते। इससे तो भाषा सतही (स्थूल) हो जाती है और गरिमा तथा गौरव से वंचित रह जाती है। इसमें विविधता न रहकर मर्यादाएँ आ जाती हैं। भाषा और उसके अंगों, भाषा के भिन्न-भिन्न प्रवाह, साहित्य और उसके रूपों का पृथक्करण या विवेचन करते समय यही अनेकान्तवादी विचार पद्धति दृष्टिगत रखनी चाहिए। पत्रकारिता के क्षेत्र में पत्रकारिता में अनेकान्तवादी विचारधारा एक साधन के रूप में स्वीकारी जानी चाहिए। किसी भी पक्ष, व्यक्ति या कार्य के प्रति दोषारोपण की बजाय तटस्थ जाँचपड़ताल, विचार-विमर्श या रहस्य का उद्घाटन करने के बाद ही न्यायपूर्ण समाचार और खबरों का प्रकाशन एक स्वस्थ पत्रकारिता के लिए आवश्यक है। सभी पहलुओं को नजर में रखकर परिस्थितियों का प्रकाशन या विवेचन अपेक्षित होता है; जिससे किसी के साथ अन्याय होने की गुंजाइश नहीं रहती। पत्रकारिता तो समाज व राष्ट्र का आइना होती है। जितनी स्वच्छ और तटस्थ पत्रकारिता होगी उतना ही सही और सुंदर प्रतिबिम्ब समाज का झलकेगा। अपने मन या कथन को ही सही और आखिरी सत्य न समझकर सापेक्ष रूप से दूसरे के विचारों को भी दृष्टिगत रखना चहिए। अध्यात्मवाद के क्षेत्र में ___ अध्यात्मवाद के साथ तो अनेकान्तवाद का प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। व्यक्ति अपने मानसिक धरातल पर अवगाहन कर प्रत्येक पदार्थ, विचार, सम्बन्ध, व्यक्ति आदि पर अनेक कोणों से जब सोचता है, तो उसकी विचारधारा पुष्ट होती है। वह स्वस्थ, शान्तचित्त होकर सभी दृष्टिबिन्दुओं को जानने, समझने, परखने की कोशिश करता है और तभी बाह्य संघर्ष व क्लेशों का उपशमन होता है। अध्यात्म का सम्बन्ध व्यक्ति के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014009
Book TitleMultidimensional Application of Anekantavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Shreeprakash Pandey, Bhagchandra Jain Bhaskar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages552
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size9 MB
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