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________________ जैन- मुनियों के नामान्त पद या नन्दियाँ सिद्धि शान्ति लब्धि बुद्धि सहज ज्ञान दर्शनैः ।। चारित्र. वीर. विजय . चारु राम मृगाधिपैः ।।२३॥ मही विशाल विबुध विनयैर्नय संयुतैः । . .. सर्व प्रबोध रूपैश्च गण मेरु वरै रपि ॥२४॥ जयन्त योग ताराभिः कला पृथ्वी हरि प्रियः । एतत् प्रमृतिभिः पूर्व पदैस्यादभिधा पुनः ॥२५॥ मुनि नामान्त पद :- . ... शशाङ्क कुम्भ शैलाब्धि कुमार प्रभ वल्लभैः ।। सिंह कुञ्चर देवैश्च दत्त कीति प्रियै : रपि ।।२६॥ प्रवरानन्द निधि श्री राजसुन्दर शेखरैः । वर्धना कर . हंसैश्च रत्नमेरु समूर्तिभिः ॥२७॥ सार भूषण धमै श्च केतु पुङ्गव पुण्डकैः । .. ज्ञानदर्शन वीरैश्च पदै रेभिस्तथोत्तरैः ॥२८॥ जायन्ते साधुनामानि स्थितैः पूर्व पदात्परैः ।, अन्यानि याति सहज नामानि विदितानि ॥२९॥ नृणा तान्युत्तम पदैर्भूषा यद्वत . दानतः । एवं विदध्यात्सगुरुः साधुनां नाम कीर्तनम् ।।३०।। एतेचेव परंसूरि पदस्योत्तत्पदा... गमे । गच्छ स्वभाव संज्ञासु नवि भेदोऽभिधानतः ॥३१॥ : उपाध्याय वाचतार्य नामानि खलुसाधुवत् । व्रतिनीनां तु नामानि यतिवत्पूर्वगैः पदैः ॥३२॥ साध्वी नामान्त पद : स्युरुत्तर :- पदैरेभिरनन्तरः समीरितैः । मतिश्चूला प्रभादेवी लब्धिसिद्धिवती मुखैः ॥३३॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014002
Book TitleJain Sahitya Samaroha Guchha 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah, Kantilal D Kora, Pannalal R Shah, Gulab Dedhiya
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1987
Total Pages471
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size19 MB
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