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________________ ___Homage to Vatsali से गुजर रहे हैं, जो नवीन जागरण की प्रसववेदना का अनुभव कर रहा है / अपने अतीत के पोग्य सिंहावलोकन को इस जागरण में एक महत्त्वपूर्ण प्रेरक शक्ति बनाना चाहिये / किन्हीं विशेष युगों में हमारी जाति के आरोहण और दूसरों में उसके अवरोहण के कारणों और परिस्थितियों की सच्ची समझ की मांग हमें इस जागरण की प्रक्रिया में आगे ले चलने को है। अपने अवनति-काल में हम अपनी वैशाली को, अपने वृजियों और अपने यौधेयों को, प्रायः भुला बैठे थे / हमारा अतीत अक्षरार्थों में खोदकर निकाला और पुनरुज्जीवित किया गया है और हमारे इतिहास का अक्षरशः पुननिर्माण हुआ है। और हमारे इतिहास का पुनर्निर्माण हमारे नवजागरण में एक सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व और प्रेरक बल रहा है और रहना चाहिए / भविष्य की हमारी आशा वैशाली की भावना के पुनरावर्तन में ही है।
SR No.012088
Book TitleVaishali Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogendra Mishra
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology and Ahimsa
Publication Year1985
Total Pages592
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth
File Size17 MB
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