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________________ 110 અમૃત મહોત્સવ સ્મૃતિ इति पादशाह श्री अकबर जल्लालदीन श्री सूर्य सहस्त्रनामाध्यापक श्री शत्रुञ्जय तीर्थकर विमोचन गोवध निवर्तनाद्यनेक सुकृतनिर्मापक महोपाध्याय श्री भानुचन्द्रगणिविरचितं स्वप्रमादाचरणालोचनगर्भितं श्री नाभेयजिन विज्ञप्ति स्वरूपं स्तवनं समाप्तमिति॥ संवत् 1717 वर्षे मागसिर वदि 7 शुक्रे महोपाध्यायश्री पू. श्री सिद्धिचन्द्रगणिभिः शोधितम् / / पादटीप श्लोक 65 : तुलना - कल्याणमन्दिर स्तोत्र - श्लोक 34 66 : तुलना - कल्याणमन्दिर स्तोत्र - श्लोक 41 67 : तुलना - कल्याणमन्दिर स्तोत्र - श्लोक 35 70 : तुलना - कल्याणमन्दिर स्तोत्र - श्लोक 38 71 : तुलना - कल्याणमन्दिर स्तोत्र - श्लोक 38 73 : तुलना - कल्याणमन्दिर स्तोत्र - श्लोक 36 80 : तुलना - वीतरागस्तोत्रप्रकाश 20 - श्लोक 8 68 : हल्लीसक : नाटकम् दृश्यताम् कदाचिद् वनितोल्लासहल्लीसक विगाहने / कदाचिद् किन्नरी तारगीता कणेन कौतुके // (- भानुचंद्र चरिते चतुर्थ प्रकाशे)
SR No.012087
Book TitleMahavir Jain Vidyalay Amrut Mahotsav Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakul Raval, C N Sanghvi
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1994
Total Pages408
LanguageGujarati
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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