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________________ 38 - स्मृतियों के वातायन में - नारी जागरण के प्रेरणा-स्त्रोत जैन जगत् के लब्ध प्रतिष्ठ मनीषी डॉ. शेखरचन्द्र जैन के अभिनंदन ग्रन्थ प्रकाशन का वृन्त जानकर हार्दिक । प्रसन्नता हुई। उनके नाम से तो कई वर्षों से परिचित थी परन्तु परमपूज्य मुनि श्री सुधासागरजी महाराज के सान्निध्य में आयोजित श्रावकाचार संग्रह अनुशीलन राष्ट्रीय संगोष्ठी में आपसे प्रत्यक्ष रूप से साक्षात्कार का । सुअवसर प्राप्त हुआ। वे संयोजन कला के निष्णात मनीषी हैं। जैन साहित्य चेतना हेतु महिलाओं को सतत् 1 मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन देकर उनको आगे बढाने में डॉ. जैन की उल्लेखनीय भूमिका है। अभिनन्दन के इस पावन प्रसंग पर में उनके उज्ज्वल सुखद भविष्य हेतु मंगलकामना करती हूँ। श्रीमती क्रान्ति जैन (लाडनूं) - समाजसेवक और समताभावी पत्रकार यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई कि डॉ. शेखरचन्द्र जैन का अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित होने जा रहा है। यह गुजरात राज्य में संभवतः यह पहला अवसर है जब किसी दिगम्बर जैन विद्वान का अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है। इस कार्य के लिए मैं आयोजकों को धन्यवाद देना चाहता हूँ क्योंकि यह गुजरात के समस्त विद्वानों का सम्मान है। ___यूँ तो डॉ. जैन के विविध कार्य कलापों पर नजर डालें तो उन्हें राज्य विशेष की सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता है। प्रारम्भ में ये गुजरात राज्य में हिन्दी साहित्य जगत से जुड़े रहे तथा हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपना _अमूल्य योगदान दिया। कालान्तर में आप जैन समाज व धर्म की सेवा के कार्यों के लिए समर्पित हो गये। आपने 'श्री आशापुरा माँ जैन अस्पताल' की स्थापना की तथा उसी के साथ 'तीर्थंकर वाणी' नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया। पिछले आठ वर्षों में अस्पताल में बहुत विकास हुआ है तथा १४ वर्षों में पत्रिका ने भी जैन । समाज में अपनी एक पहिचान बनाई है। इस सबके लिए डॉ. जैन का समर्पण ही रहा है। डॉ. जैन वर्षों से पर्दूषण के दिनों में विदेशों में जाते हैं तथा धर्म प्रचार करते हैं। श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों । समाजों में आपकी अच्छी प्रतिष्ठा है, इसी कारण विदेशों में भी दोनों सम्प्रदायों के अनुयायियों के मध्य अपने । विचार रख पाते हैं। डॉ. जैन जैन समाज के एक जाने-माने विद्वान व लेखक हैं। ये 'श्री ऋषभदेव विद्वत् महासंघ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। इनकी विद्वता के कारण इन्हें अनेक पुरस्कारों द्वारा अनेकबार सम्मानित किया जा चुका है। __आगे आने वाले वर्षों में डॉ. जैन सपरिवार स्वस्थ व प्रसन्नचित्त रहें, समाज व धर्म की सेवा करते रहें, ऐसी भावना के साथ में उनका हृदय से हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। डॉ. अनिलकुमार जैन (अहमदाबाद) . अभिनंदनीय व्यक्तित्व श्रीमान् डॉ. शेखरचन्द्रजी स्पष्ट निर्विवाद एवं कर्मठ व्यक्तित्व के धनी हैं। आपने सिद्धान्त नीति एवं स्वाभिमान को आधार बना कर अपने जीवन एवं कार्यशैली को सुरभित किया है। आपके वक्तव्य में स्पष्टवादिता, निष्पक्षता एवं हास्य का समावेश होता है। आपने निर्भीकता से विपरीत परिस्थितियों में भी सूझ-बूझ से जैनदर्शन आगम आदि के संरक्षण में महती भूमिका का निर्वाह किया है। जिस प्रकार आपका वाणी कौशल प्रभावक है। उसी
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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