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________________ | 34 स्मृतियों के वातायन से . बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न, समन्वयवादी व्यक्तित्व ____ आज समन्वयात्मक दृष्टि सम्पन्न कुशल लेखकों एवं निर्भीक प्रवचनकारों का अभाव सा होता जा रहा है, । किन्तु यह देखकर गौरवकी अनुभूति होती है कि मूलतः शिक्षक किन्तु वर्तमान में पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी यश पताका फहराने वाले डॉ. शेखरचन्द्र जैन अहमदाबाद में उक्त तीनों गुण समाहित हैं। ___ मानव मात्र के प्रति असीम स्नेह रखने वाले डॉ. साहब जितने दिगम्बरों में लोकप्रिय है उससे कहीं अधिक श्वेताम्बरों में। इतना ही क्यों, वे जैनेतर बन्धुओं में भी अपनी साहित्यिक अभिरूचि तथा बेबाक प्रस्तुति के लिये लोकप्रिय हैं। आपको देश के प्रतिष्ठित गणिनी ज्ञानमती पुरस्कार 2005 से सम्मानित किया जाना तो महत्वपूर्ण है ही किन्तु लगातार अनेक वर्षों से अमिरिका, कनाडा आदि देशों में जाकर वहाँ के ज्ञान पिपासु बन्धुओं को पयूषण पर्व के 18 दिनों में (8 श्वेताम्बर एवं 10 दिगम्बर)ज्ञानामृत का पान कराना आपकी महती धर्म सेवा है। आपके इन सतत् प्रयासों से प्रवासी जैन बंधुओं में धर्म के प्रति अभिरूचि बढ़ी तथा जैनधर्म के मूल सिद्धांतो अहिंसा, अपरिग्रह एवं अनेकान्त को वह बेहतर तरीके से समझ सकें हैं। विदेशों में रहनेवाले जैन बन्धु सम्प्रदायजगत रूढ़ियों से उपर उठकर धर्म के रहस्य एवं जैन जीवन शैली को समझने लगे हैं। आपका मिशन । समन्वय ध्यान साधना ट्रस्ट के माध्यम से निरन्तर प्रगति कर रहा है। ऐसे अद्वितीय प्रतिभा सम्पन्न विद्वान का अभिनन्दन निश्चय ही श्लाघनीय है। मैं इस प्रशस्त निर्णय हेतु अभिनन्दन समारोह समिति के सभी सदस्यों को साधुवाद देता हूँ तथा स्वयं अपनी ओर से तथा तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ की ओर से डॉ. शेखरचन्दजी के स्वस्थ, सुदीर्घ एवं यशस्वी जीवन की मंगल कामना करता हूँ। डॉ. अनुपम जैन, महामंत्री (इन्दौर) ४ औषधि दान के समर्थक जैन परम्परा में चार प्रकार के दान कहे गए है- औषधि, शास्त्र, अभय एवं आहार। प्रायः सरस्वती पुत्र शास्त्र या ज्ञान दान तो देते है लेकिन डॉ. शेखरजी औषधि दान के रूप में चिकित्सालय का संचालन कर विशेष पुण्य का बन्ध कर रहे हैं। सम्पादक के रूपमें आप निर्भीक पत्रकार के पक्ष में भी आप भूमिका निभा रहे है। संगोष्ठियों में राष्ट्रिय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मलित होकर जैनधर्म की प्रभावना कर रहे हैं। जैन समाज की एक में आपका योगदान महत्वपूर्ण है। गुजरात प्रान्त में दिगम्बर जैन विद्वान के रूप में आप प्रतिनिधि विद्वान हैं। डॉ. शेखरजी के अभिनन्दन के अवसर में उनकी शतायु की कामना करता हूँ। डॉ. विजयकुमार जैन ! सम्पादक-श्रुतसंवर्धनी, लखनऊ - स्पष्टवादिता एवं सरलता के प्रतीक मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि भाई डॉ. शेखरचन्द्र जैन अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित होने जा रहा है। इस अवसर पर मेरी ओर से बहुत-बहुत शुभ कामनाएँ। मेरी उनसे दो बार मुलाकात हुई। पहली बार माँ कौशल के ऋषभांचल में विद्वानों की गोष्ठी मे उनसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। गोष्ठी के बाद मेरे साथ मेरे दिल्ली निवास स्थान पर भी आये और दो दिन रुके। जिस ।
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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