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________________ 3581 ___स्मृतियों के वातायन से चिकित्सा विज्ञान और अध्यात्म ___प्राचार्य निहालचन्द जैन अध्यात्म, प्रार्थना, ध्यान और सामायिक आदि का रोगी के ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है- पश्चिमी जगत् विशेषकर इंग्लैंड में इस पर अनुसंधान और विवेचनाएं चल रही हैं। भारत जिस आध्यात्मिक आस्था से हजारों वर्षों से जुड़ा है, विश्व का ध्यान आज उन रहस्यों की ओर जाना शरू हो गया है। ब्रिटेन में इस बात पर विशेष बहस चल रही है कि भारत में प्रचलित अध्यात्म, आस्था, अर्चना, पजन जैसे भाव-विज्ञान से रोगी के स्वस्थ होने की रफ्तार बढ़ जाती है। इस पर वहाँ सफल परीक्षण और प्रयोग हुए हैं। ___ डॉ. लॉरी डोसे ने अपने एक संस्मरण में लिखा है कि उन्होंने प्रार्थना की एक अजीब चिकित्सा पद्धति का अनुभव किया। उन्होंने समय का जीवंत वृत्तांत लिखा है। जब वे टेक्सास के थाईलेण्ड मेमोरियल अस्पताल में थे, उन्होंने एक कैंसर के मरीज को अंतिम अवस्था में देखा और उसे सलाह दी कि वह उपचार से विराम ले ले, क्योंकि उपलब्ध चिकित्सा से उसे विशेष लाभ नहीं हो रहा था। एक वर्ष पश्चात् जबकि डॉ. लॉरी वह अस्पताल छोड़ चुके थे, उन्हें एक पत्र मिला कि क्या आप अपने पुराने मरीज से मिलना चाहेंगे? सन् 1980 में जब डॉ. लॉरी मुख्य कार्यकारी अधिकारी बने- यह निष्कर्ष दिया कि प्रार्थना से विभिन्न प्रकार के महत्त्वपूर्ण शारीरिक परिवर्तन घटित होते हैं। उन्होंने लिखा- मुझे यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि वह मरीज अब भी जिंदा है। उसके 'एक्स रे' प्लेट का निरीक्षण करने पर पाया गया कि उसके फेफड़े बिल्कुल ठीक हैं। हाँ यह अवश्य था कि उसके बिस्तर पर बैठा हुआ कोई न कोई मित्र उसके स्वास्थ्य-लाभ की अवश्य प्रार्थना किया करता था। मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में डॉ. लॉरी के दिए गए निष्कर्षों से चिकित्सा विज्ञान में नई आध्यात्मिक दृष्टि का सूत्रपात हुआ और यह सुनिश्चित हुआ कि शरीर में होने वाली 'व्याधि' का प्रमुख कारण हमारी मानसिक सोच है- जो ‘आधि के नाम से जानी जाती है। गलत सोच, मनोविकारों या मनोरोगों का कारण बनती है। इसी परिप्रेक्ष्य में 'प्रार्थना' मन की बीमारी का सही इलाज है। प्रायः यह देखा गया है कि व्यक्ति जब
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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