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________________ 1276 [10] डाक टिकटों पर जैन संस्कृति ___डॉ. ज्योति जैन वर्तमान युग में संचार के प्रमुख माध्यमों के डाक व्यवस्थाका महत्त्वपूर्ण स्थान है। भारत ही नहीं विश्व में संदेशावाहक के रूप में डाक व्यवस्था अपना उदाहरण आप है। भारत में डाकसेवा की सार्वजनिक शुरूआत 1837 में हुई। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रकाशित 'भारत 2006' पृष्ठ 172 के अनुसार 'एक अक्टूबर 1854 को भारत की डाक प्रणाली की वह बुनियाद पड़ी जिस पर वह आज खड़ी है। आज हमारे देश में डाकघरों की संख्या 155669 है। वर्तमान में पोस्टकार्ड, पत्र, लिफाफे आदि डाक विभाग स्वयं छापता है, किन्तु जब उपभोक्ता अपने छपे या बिना छपे पत्र डालना चाहता है तो उतने ही मल्य के डाक टिकिट लगाना पड़ते हैं। __ आज तरह तरह के, विभिन्न मूल्य वर्गों के डाक टिकिट उपलब्ध हैं। विश्व में हजारों । तथा भारत में लगभग 40-50 स्मारक विशेष डाक टिकिट प्रतिवर्ष जारी होते हैं। यह । जानने की इच्छा स्वतः उत्पन्न होती है कि भारत में डाक टिकिट का प्रचलन कब से हुआ। इस सन्दर्भ में भारत सरकार की वार्षिकी 1993 दृष्टव्य है जिसमें लिखा है कि भारत में पहला डाक टिकिट 1852 में करांची (पाकिस्तान) में जारी किया गया था। यद्यपि वह केवल सिंध प्रांत के लिये वैध था। कलकत्ता की टकसाल में मुद्रित पहला भारतीय टिकिट जुलाई 1854 में जारी किया गया। किन्तु कलकत्ता की टकसाल में डाक टिकटों की छपाई का काम नवम्बर 1855 में बंद कर दिया गया और उसके बाद डाक-टिकटों को लंदन में छापा गया। 1925 में महाराष्ट्र प्रांत के नासिक शहर में डाक टिकिट छापने के लिये इंडिया सिक्युरिटी प्रेस की स्थापना हुई जहां से (तथा कलकत्ता सिक्युरिटी प्रिंटर्स लि. से भी) आजकल डाक टिकिट छापे जा रहे हैं। डाक टिकटों पर समय समय पर महापुरुषों, मन्दिरों भवनों, लता-वृक्षों, विशेष संदेशो या समसामयिक घटनाओं, उत्सवों को दर्शाने वाले चित्र प्रकाशित होते हैं। जब कोई टिकिट जारी होता है तो उसके साथ प्रथम दिवस आवरण (First day cover) विवरणिका (Brochure or Information Sheet) तथा प्रथम दिवस मोहर (विरूपण) (first fay cancellation) भी जारी होते हैं। विशेष अवसरों पर केवल विशेष आवरण
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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