SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 122
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 97 बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी जैनदर्शन के प्रभावी उपदेशक श्रीमान् डॉ. शेखरचन्द जैन, अहमदाबाद से मेरा परिचय जैन साहित्य सम्मेलन, पालनपुर में हुआ । विगत 20 वर्षो में उनसे मित्रता प्रगाढ़ होती गयी। इतना स्पष्टवादी और जैनधर्म का व्यापक ज्ञान रखनेवाला विद्वान् समाज में कम ही प्रतिष्ठित होता है । किन्तु डॉ. जैन इसके अपवाद हैं। उनके मिलनसार व्यक्तित्व और निस्पृही वृत्ति ने उन्हें देश-विदेश में अच्छी ख्याति प्रदान की है। गुजरात शिक्षा विभाग ! में हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित साहित्यकार और प्राचार्य के रूप में डॉ. जैन अत्यन्त लोकप्रिय शिक्षक रहे हैं। जैनविद्या के विद्वान् के रूप में आपकी प्रतिष्ठा ने उन्हें जैन विद्वानों की राष्ट्रीय संस्था का अध्यक्ष भी बनाया। डॉ. जैन साधु-सन्तों के अनन्य भक्त और साधक भी हैं। आपने नई पीढ़ी को साधना के कई प्रयोग कराये हैं। डॉ. शेखरचन्द जैन के व्यक्तित्व के कई आयाम हैं। आपने समाजसेवा के रूप में अहमदाबाद में एक अस्पताल भी संचालित किया है, जो कम खर्चे में रोगियों की सेवा कर रहा है। डॉ. जैन एक निर्भीक पत्रकार हैं। समाज की कई समस्याओं पर आपने महत्त्वपूर्ण सम्पादकीय लिखे हैं । आपके द्वारा सम्पादित 'तीर्थंकर वाणी' पत्रिका तीन भाषाओं में निकलने वाली प्रतिनिधि जैन पत्रिका है। साहित्य, समाज और धर्म के क्षेत्र में आपके महनीय योगदान के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। ऐसे समाजसेवी, जिनवाणी सेवक एवं निर्भीक पत्रकार डॉ. जैन चिरायु होकर स्वस्थ एवं सुखद जीवन व्यतीत करें, यही हार्दिक शुभेच्छा हैं। प्रो. डॉ. प्रेमसुमन जैन पूर्व डीन, सुखाड़िया विश्व विद्यालय, उदयपुर (राज.) 1 प्रखर समन्वयवादी डॉ. शेखर जिनका अभिनंदन ग्रन्थ छपना हमारे गौरव का विषय है। आपका सम्पूर्ण जीवन शिक्षा को समर्पित रहा आप एक अच्छे शिक्षाविद होने के साथ-साथ महान लेखक और संपादक भी हैं। आपकी लेखनी वे रोक ! टोक विषय वस्तु का सत्य प्रतिपादन करने से नहीं चूकती । तीर्थंकर वाणी के अनेक संपादकीय लेखों ने हमारे मानस को अनेक शंकाओं से मुक्त कराया। आपने अनेक गूढ़ ग्रन्थों के रहस्यों को अपनी सुबोध शैली में लिखकर समाज पर अद्भुत उपकार किया है। आपके लेख दिगम्बर - श्वेताम्बर दोनों परंपराओं में सर्वमान्य एवं ग्राह्य रहते हैं। जहां आप दिगम्बर आम्नाय के चारों अनुयोगों के निष्ठावान विद्वान हैं वहीं आप श्वेताम्बर परम्परा के ग्रन्थों भिज्ञ हैं। यही कारण है कि आपको दिगम्बरों के साथ-साथ श्वेताम्बर समाज मे भी उतना ही महत्वपूर्ण माना जाता है। आपने अपनी ओजस्वी एवं विद्वतापूर्ण शैली से समाज के इन दोनों वर्गों में पड़ी खाई को पाटने का अद्भुत कार्य किया जो सराहनीय एवं अनुकरणीय है । आपका यह समन्वयवादी विचार निश्चित ही एकता स्थापित करने में नीव का कार्य कर रहा है। अध्यापन-लेखन पठन के साथ साथ आपने वैय्यावृत्य का अद्भुत कार्य किया जो कालान्तर में कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता। आशापुरा मां जैन अस्पताल स्थापित कर जो मानवसेवा का उत्कृष्ट कार्य आपके द्वारा किया जा रहा है उसे जैनधर्म में वैय्यावृत्य की संज्ञा दी गई है। इससे प्रतिदिन सैंकडो लोग लाभान्वित होकर अपने को धन्य मान रहे हैं। आपकी यह सेवा स्तुत्य एवं आदरणीय है। पं. उदयचंदजैन शास्त्री (सागर) 1
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy