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________________ 278 महेन्द्रकुमार मस्त पत्रिकाओं तथा हिंदी व अंग्रेजी के दैनिक पत्रों में छप रही हैं । ग्रंथ 'आत्म अमृतसार' का सृजन व संपादन इन्होंने ही किया। दिगम्बर जैन समाज : इस क्षेत्र में अम्बाला कैंट, जगाधरी, चंडीगढ़, जालन्धर कैंट, फिरोजपुर, पानीपत, रोहतक, भिवानी, हांसी व हिसार आदि नगरों में दिगम्बर जैनों की पर्याप्त आबादी है । उद्योग, व्यापार, शिक्षा, ऊंचे सरकारी पद तथा राजनीतिक क्षेत्र में समाज की मजबूत पकड हैं । मुनिराजों के विहार भी होते . रहते हैं। ___ हांसी के किले से मिली २७ जैन मूर्तियाँ, अब वहाँ के दिगम्बर मंदिर में शोभायमान हैं । रानीला गाँव - हांसी के समीप में भगवान ऋषभदेव की विशाल मूर्ति प्राप्त हुई थी। रानीला अब एक तीर्थ बन गया है। ___लाला हुकमचंद जैन जो हांसी के एक बडे जागीरदार थे उन्हें सन् १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण अंग्रेजोंने फांसी पर लटका दिया था । Philanthropist लाला गंगाराम (अम्बाला), गोपीचंद एडवोकेट (अम्बाला), मंगतराम (अम्बाला), मानकचंद छोटेलाल दूगड (गुजरांवाला), प्यारालाल राय साहेब (गुजरांवाला), लाला गुजरमल व दौलतराम (होशियारपुर), लाला खैरायतीलाल जैन (दिल्ली), लाला रामलाल इन्द्रलाल (दिल्ली), लाला रतनचंद रिखबदास (दिल्ली), लाला दीनानाथ देवराज (दिल्ली), लाला मकनलाल प्यारेलाल मुन्हानी (दिल्ली), लाला लाभचंद राजकुमार (फरीदाबाद), लाला सुंदरलाल शांतिलाल जैन (दिल्ली), लाला सदाराम जैन (सामाना), लाला चूनीलाल (अमृतसर), लाला नेमदास बी.ए. (अम्बाला), लाला जसवंत राय धर्मचंद (दिल्ली), श्री जवाहरलाल ओसवाल (लुधियाना), श्री अभयकुमार ओसवाल (लुधियाना), शांति स्वरूप जैन (होशियारपुर), बीरचंद राजकुमार जैन (एन के - दिल्ली), देवेन्द्र कुमार नरेन्द्रकुमार (कोस्को - दिल्ली), चांद प्रकाश जैन (जण्डियाला - गुरु), श्री कोमल कुमार जैन (ड्यूक - लुधियाना), श्री राजकुमार जैन (जालन्धर), डॉ. सुदेश कुमार जैन (सामाना), श्री रमेश कुमार जैन (स्वास्तिक - लुधियाना), श्री रजनीश जैन (जंडियाला-गुरु), श्री नवलचंद मोहनलाल जैन (गाज़ियाबाद), कशमीरीलाल जैन (लुधियाना) । Festivals & Celebrations : सूर्य-पंचांग के अनुसार, सूर्य द्वारा हर मास एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश (संक्रमण) होने को उत्तर भारत में इस नए महीने का प्रारंभ यानी संक्रांति पर्व कहा जाता है । नए महीने का पहला नाम किसी गुरुदेव के मुखारविंद से सुनना शुभ माना जाता है । हर मास यह संक्रांति अब एक विशिष्ट पर्व बन गया है । भगवान महावीर जयंती, गुरुदेवों की जयंती, पर्युषण पर्व, दशलक्षणी पर्व, संवत्सरी प्रतिक्रमण,
SR No.012079
Book TitleMahavir Jain Vidyalay Shatabdi Mahotsav Granth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumarpal Desai
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year2015
Total Pages360
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationSmruti_Granth
File Size8 MB
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