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________________ શ્રી મેહનલાલજી અધ શતાબ્દી સ્મારકગ્રંથ ॥श्री जिनेंद्राय नमः॥ स्वस्तिश्री लासलग नगरे महाशुभस्थाने सर्व शुभोपमा सायक विराजमान श्रीसुदेव सुगुरुभक्तिकारक सर्वावसरसावधान दयावंत मध्यस्थ गुणरागी परहितकारी इत्यादिक श्रा. वकोंके एकवीश गुएासंकृत पूजनीय समस्त श्रीसंघ तथा ग्रामातनायजाबालाजोरजनजातीयतवाट योग्यश्री मकसुदावाद नगरसें अस्वितंग प्रतापसिंहजी राय लछमी पतिप्र सिंह धनपतिसिंह बाहादुर छत्रपति सिंह गणपतिसिंह नरप तिसिंह माहाराज बाहादुर श्रीपति सिंह सुरपति सिंह का. लिदास महिपति सिंह दुगडका प्रएम योचियेगा. का इहां श्रीजैनधर्मपसायसें कुशल हे.आप सर्व संघके कुशहास चाहते हैं,ओर पालिताणानगरे श्रीसिदाचस तीर्थराजकी तलह3/टी उपर श्रीयुगादिदेव आदिनाथ स्वामीजीको नवीन-जिनमंदिर साबरोहैं तिनमें श्री श्री १००८ श्रीपरमपूज्य ऋषभदेवजी माहाराज प्रमुखकी आशरे एक हजार नवीन जिन बिंबोकी अंजन मिताका अर्थात् प्रतिष्ठा संवत १४ मिति माघ शुदि १० शुक्रवारके दिन शुभ लग्न में होयगी. इसकी विधिशास्त्रानुसार दश दिन पहिसेसें कुंभस्थापन वगेरे सदनुष्ठान प्रारंभ होयगा.सो यह महा मंगलकारी महोत्सव में आप सहकुटुंब मित्रोसहित जरूर पधार कर तीर्थसेवा ओर मुनिराज महाराज श्रीमोहनलालजीप्रमस्या के दर्शनका महोटा सामलिजियेगा.श्रीसंघके पधारनेसे पोलिस नशासनकी उन्नति औरहमा विशेष आनंद हायगा.जादाभ।। सं. १९०४९ मार्गशीर्ष मा धनपतिसिंहका प्रणामपंचायगा- हमारे मूल्य शुदि शुक्रवार ) माजी साडेवकी तरफसें यह शुगकाम होताहे सोजानियंगा પાલીતાણા - ધનવી ટ્રકની પ્રતિષ્ઠા-પત્રિકા (વિ. સં. ૧૯૫૯ માગશર સુદ ૬ શુકવાર) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012077
Book TitleMohanlalji Arddhshatabdi Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMrugendramuni
PublisherMohanlalji Arddhashtabdi Smarak Granth Prakashan Samiti
Publication Year1964
Total Pages366
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth
File Size13 MB
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