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निवेदन
श्री शान्तिलाल वनमाली शेठ के अमृत महोत्सव की स्मारिका का प्रकाशन करते हुए हमें अत्यंत आनंद हो रहा है।
श्री शान्तिभाई का यह आग्रह था कि 'अमृत महोत्सव के निमित्त से सत्साहित्य के प्रकाशन को वेग मिले ऐसा कुछ करना चाहिए।'
हमें संतोष है कि अमृत-महोत्सव समिति ने निधि एकत्र कर ली है जो श्री शान्तिभाई को दिल्ली गुजराती समाज के शाह ओडिटोरियम में ता० २४ मई ८७ को समर्पित की जायगी। उस निधि में अपनी ओर से कुछ जोड़कर श्री शान्तिभाई उस निधि को श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम को प्रत्यर्पण कर देंगे। जिसका उपयोग असाम्प्रदायिक
और समन्वयात्मक साहित्य के प्रकाशन में श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम करेगा। इस स्मारिका में श्री शान्तिभाई के जीवन को उजागर करने का संक्षेप में प्रयत्न किया है साथ ही समिति के सदस्य बनने की स्वीकृति के उपरान्त कुछ सदस्यों ने श्री शान्तिभाई के विषय में अपने प्रतिभाव लिखे थे उनमें से कुछ का संग्रह भी कर दिया है।
सभी सदस्यों की तथा दाता और विज्ञापनदाताओं की सूची दी गई है।
श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम, जो श्री शान्तिभाई द्वारा समर्पित निधि का सत्साहित्य के निर्माण में उपयोग करनेवाला है, उसका भी संक्षेप से परिचय स्मारिका में दे दिया गया है।
समिति के निर्माण से लेकर आजकल हमें जिन्होंने पूरा सहकार दिया है, उनकी संख्या तो बड़ी है किन्तु कुछ एक नाम देना है, जिन्होंने विशेष परिश्रम करके समिति के कार्य को सफल बनाने में सहयोग दिया है। सर्वश्री भूपेन्द्रनाथ जैन, हर्षद शेठ, नृपराज जैन, राजकुमार जैन, अजितराज सुराणा, दौलतसिंहजी कोठारी, श्रीमती विद्याबहन, श्री विपीनभाई वडोदरिया, श्री महासुखभाई, श्री व्रजलालभाई, श्री चंदूभाई, श्री गुलाबचंद जैन और श्री शोरीलाल जैन आदि अनेक हैं जिनके सहयोग के बिना हमारी सफलता हो नहीं सकती थी। इनके और अन्य सभी जिन्होंने निधि में दान दिया है और स्मारिका में विज्ञापन दिया है, हम अत्यंत आभारी हैं।
-दलसुख मालवणिया
-सागरमल जैन
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