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________________ से बढ़कर यह दानराशि करीब-करीब एक लाख तक पहुँच (३) मृत्युंजय का मार्ग : एक आध्यात्मिक प्रयोग गई और प्रार्थना-भवन का निर्माण हआ और पु० काका साहब ने प्रार्थनाप्रिय श्री रामनारायण की पुण्यस्मृति में बनारस के निवास दरम्यान अनेक प्रोफेसरों, विद्वानों, प्रार्थना भवन में उनके नाम का लेख उत्कीर्ण कर इतना मात्र समाज-सेवकों और धर्मनायकों के परिचय में आने का अव सर मिला । काशी विद्यापीठ में आचार्य नरेन्द्रदेव, विशेषतः लिखा गया कि 'इस प्रार्थना भवन में श्री रामनारायणजी की भावनानुसार नियमित सर्वधर्म-प्रार्थना होती रहेगी।' आज बौद्ध-धर्म के सुप्रसिद्ध महापंडित धर्मानंदजी कौशम्बी की भी यहाँ प्रार्थना होती रहती है-श्री नायबराजजी के पूज्य सेवा का जो अवसर मिला-यह मेरे जीवन का धन्य अध्याय पिताजी की (श्री रामनारायणजी प्रति) पुण्यस्मति में सच्ची ही बन गया। बात यह थी कि, प्रज्ञाचक्षु पंडित सुखलालजी श्रद्धांजलि है। वास्तव में यह अनासक्तियोग का एक उदा से जैनधर्म में मृत्यु का वरण करने का और मृत्युंजय बनने हरण है। का-संथारा व्रत लेने का-जो विधान है वह जब कौशंबी जी ने सुना तब उन्होंने मृत्युंजय बनने की प्रक्रिया को अपने (२) शान्तिनिकेतन का एक पुण्य प्रसंग जीवन में साक्षात्कार करने का निश्चय किया और इस महान शान्तिनिकेतन में एक स्मरणीय ऐतिहासिक प्रसंग आज जीवन-साधना के लिए उन्होंने आजमगढ़ के दोहरीघाट के भी स्मृतिपट पर चित्रित है। पूना में पू० बापू जी ने अस्पृ- हरिजन सत्याश्रम-जो सरयू नदी के किनारे स्थित है-वहाँ श्यता-निवारण के एक प्रश्न पर आमरण अनशन प्रारंभ कर मृत्युंजय मार्ग पर चलने का व्रत ग्रहण कर लिया और इस दिया था। पू० बापू जी गुरुदेव के प्रत्यक्ष आशीर्वाद चाहते क्रमशः खान-पान का त्याग करते गये । परिणामतः उनकी थे। गुरुदेव इस प्रसंग पर काफी उत्तेजित और खिन्न थे। शारीरिक स्थिति बिगड़ती गई। उनकी सेवा के लिए मेरे उन्होंने पूना-प्रयाण के पहिले सभी आश्रमवासियों को आदेश पितातुल्य संसारी श्वसुर सेवाव्रती श्री चैतन्य जी को पंडित दिया कि--आसपास के गांव में जाकर सभी ब्राह्मणों तथा हरि- जी ने भेजा ही था। कौशंबी जी की स्थिति विशेष खराब जनों सभी को सभा भवन में बुला लाओ। आज प्रायश्चित्त होने पर श्री चैतन्य जी का तार आया कि तुम दोनों-मैं और करना है। आमने-सामने ब्राह्मण और हरिजन बैठे थे। गुरुदेव मेरी धर्मपत्नी-दोहरीघाट जल्दी पहुँचो। हम यथाशीघ्र ने कंपित स्वर में और अवरुद्ध कंठ से प्रेरक उद्बोधन किया पहुँचे । स्थिति गंभीर थी। क्या करना कुछ सूझता नहीं था। कि मैंने कहा कि-कौशांबीजी विश्व के मान्य महान बौद्धपंडित 'मानवेर अपमान सोहिबो ना, सोहिबो ना' हैं। उनका शरीर व्यक्तिगत अपना ही नहीं, अपितु समग्र अर्थात--मानव जाति का अपमान सहन नहीं करूँगा। राष्ट्र का, बौद्ध-विश्व का है। हमने कौशांबी जी से सविनय सहन नहीं करूंगा। हृदय-वाणी का जबरदस्त प्रभाव पड़ा। प्रार्थना की कि कृपया अनशन को फिलहाल समाप्त या स्थगित सबके दिल द्रवित हो उठे और सभी भेदभाव भूलकर एक करें। उन्होंने इतना ही कहा कि बापूजी यहाँ आवें और जैसा दसरे को मालाएँ पहनाईं और गले से मिले। वास्तव में वे कहें वैसा किया जाय । पु० बापू जी को दिल्ली तार दिया ब्राह्मण-हरिजन-मिलन का यह एक मंगलोत्सव था जो गया। जवाबी युग-युग तक याद रहेगा। मुझे तो हरिजनमुनि हरिकेशी और से चर्चा-विचारणा चल रही है अत: वहाँ पहुँचना मुश्किल है। ब्राह्मणयाजी विजय ब्राह्मण कुमार का मिलन और जाँत- मेरी ओर से अन पाँत के भेदभाव भूलकर रसपान करें। सत्य भगवान ने प्रार्थना सुनी और उन्होंने 'सक्खं दीसइ तवोविसेसो रसपान किया। कुछ स्वस्थ होने पर वे बनारस-दिल्ली होकर न दीसइ जाइविसेस कोई।' सेवाग्राम गये। कौशंबी जी की अंतरेच्छा काकासाहेब से __ अर्थ:-साक्षात् तप और गुण की ही विशेषता दिखाई मिलने की थी। काकासाहब कहते थे कि जैसे ही मैं सेवाग्राम देती है-कहीं पर जाति की विशेषता, प्रधानता नहीं है- उनके द्वार पर पहुँचा, दष्टि से दष्टि मिली, हाथ जोडे और यह सत्रगाथा कान में गूंज उठी। मानो महावीर का युग उन्होंने सदा के लिए बिदाई ले ली। यह है आत्मलीनता और शान्तिनिकेतन में उस दिन पुनः जीवित हुआ था। यह विश्वात्मक्यता का सम्मिलन । संस्मरण मेरे जीवन में, विश्व-समन्वय के रूप में, आज भी .. स्मृतिपट पर अंकित है। जीवन स्मति की यह पूण्योपाजित नोट : ऐसे अनेक शब्दचित्र हैं भविष्य में जो पुस्तक के बहुमूल्य धरोहर है। रुप में प्रकाशित किए जायेंगे।--शान्तिलाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012073
Book TitleShantilal Vanmali Sheth Amrut Mahotsav Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherSohanlal Jain Vidya Prasarak Samiti
Publication Year
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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