SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 147
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सुप्रसिद्ध उद्योगपति श्री नवल मलजी फिरोदिया ने 'सत्यं शिवं सुन्दर' के प्रतीक कहकर श्री शान्तिभाई का अभिनंदन पिया। समारोह के मुख्य अभिवक्ता सुप्रसिद्ध गांधीवादी साहित्यकार श्री यशपालजी जैन ने 'समन्वयदर्शी शान्तिभाई को अपने जीवनादर्श अहिंसावतार भ० महावीर, महात्मा बुद्ध और महात्मा गांधी के अहिंसा-पथ के अग्रगामी पथिक, सामाजिक व मठ कार्यकर्ता असाम्प्रदायिक प्रबुद्ध विचारक और योजनाबद्ध समाजसेवा करनेवाले अथक परिश्रमी सर्वोःयी सेवक के रूप में उनका हार्दिक अभिनंदन किया। भारत जैन महामंडल के अध्यक्ष श्री नपराजजी जैन ने कहा कि श्री शान्तिभाई महामंडल के आदर्शों के अनुरूप जीवन व्यतीत करनेवाले संप्रदायातीत अखंड जन-समाज के प्रतिनिधि हैं । ऐसे जैनत्व के प्रहरी श्री शान्तिभाई का मैं अभिवंदन के साथ अभिनंदन करता हूं। पार्श्वनाथ विद्याश्रम के उपाध्यक्ष स्वातंत्र्य-सेनानी श्री गुलाबचंदजी जैन ने साल, ताम्रपत्र आदि भेंट देकर श्री शान्तिभाई का सन्मान किया। श्री अ०भा० श्वे. स्थानकवासी जैन कान्फरेन्स के महामंत्री श्री हीरालाल जी जैन ने श्री शान्तिभाई को स्या जैन समाज के प्राण-प्रतिष्ठापक, समाज के एक वरिष्ठ हितचित क नेता और जैन प्रकाश' के यशस्वी संपादक के रूप में उनका हार्दिक अभिनंदन किया और पू० श्री आत्मारामजी सुवर्णचन्द्रक, शील्ड आदि समपित कर सन्मान किया और जन प्रकाश के वर्तमान संपादक और कॉन्फरेन्स के मानद मत्री श्री अजितराज सुराणा ने साल पहनाकर शान्तिभाई का सम्मान करते हुए कहा कि श्रद्धेय श्री शान्तिभाई हमारे लिए प्राणिमित्र पू० सुराणा जी जैसे ही आदरणीय हैं । श्री आत्मवल्लभ स्मारक शिक्षण-निधि के महामंत्री श्री राजकुमारजी जैन ने सहृदयी सौम्यमूर्ति शान्तिभाई को 'आचार में हिंसा और विचार में अनेकान्तवाद' के प्रखर पक्षपाती, कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता और प्रज्ञा-पुरुष के रूप में संबोधित किया और सामाजिक सौहार्द के प्रतीक के रूप में इस प्रसंग की पुण्यस्मृति में ‘महत्तरा साध्वी मगावती जी फाउन्डे गन' की ओर से श्री शान्तिभाई के सन्मानार्थ श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम को ५१ हजार रु० की धनराशि छात्रवृत्ति के लिए समर्पित की। जिन अन्य व्यक्तियों ने श्री शान्तिलाल वनमाली शेठ के प्रति अपने उद्गार व्यक्त किये उनमें सर्वश्री भूपराज जैन, हीरालाल जैन, सुभाष ओसवाल, वीरायतन के अध्यक्ष श्री नवलमल फिरोदिया, सन्मति प्रतिष्ठान के निदेशक श्री धन्यकुमार जैन, अहिंसा जैन इन्टरनेशनल के मंत्री श्री सतीशकूमार जैन, श्री इन्द्रचन्द्र जैन, प्रगतिशील समाजसेवी श्री पन्नालाल नाहटा, शान्तिभाई के अग्रज श्री जयसुखलाल वनमाली शेठ, एवं जैन प्रकाश के सम्पादक श्री अजितराज सुराणा आदि प्रमुख थे। अन्त में श्री शान्तिभाई ने अमृत महोत्सव को अपने जीवन-काल में मत्यू-महोत्सव को सफल बनाने में जिन्होंने सक्रिय सहयोग, शुभाशीर्वाद और स्नेह-सद्भाव का अमृत-जीवन-दान दिया है उन सभी का कृतज्ञता-ज्ञापन करते हुए हार्दिक आभार माना और अपनी अन्तर्भावना-'सरमति साहित्य प्रकाशन योजना' एवं 'जनविद्या-संस्थान' की स्थापना को सफ नीभूत करने में शुभाशीष और सक्रिय सहयोग देने की प्रार्थना की। आभार विधि करते हुए समिति के महामंत्री श्री भूपेन्द्रनाथ जैन ने सभी का हार्दिक आभार माना और क्षतियों को माफ कर देने का अनुरोध किया। श्री शान्ति लाल वनमाली शेठ का यह अमत महोत्सव जन-जन को अमतदान करते हए उन्हें अमर एवं यशस्वी बनाये, यही हम सबकी अन्तर्भावना और प्रार्थना है। श्री शान्तिभाई के परिवार की ओर से भोजन की यथोचित व्यवस्था की गई। सुश्री चंदनबहिन के मंगलगीत के पश्चात आनंद और उल्लास के वातावरण में समारोह का समापन हुआ। -इन्द्रचन्द्र जैन www.jainelibrary.org
SR No.012073
Book TitleShantilal Vanmali Sheth Amrut Mahotsav Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherSohanlal Jain Vidya Prasarak Samiti
Publication Year
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy